पंकज नैन ने जो तस्वीर अपने ट्विटर अकांउट पर पोस्ट की है, संभवत: यह पुरानी है। वैसे नई हो या पुरानी, मकसद इसका वह संदेश है, जो हर किसी को जरूर अपनाना चाहिए। यह तस्वीर भारत के किसी शहर की है। सडक़ किनारे एक मां और उसका छोटा सा, प्यारा सा, मासूम सा बच्चा दोनों बैठे हैं। आसपास कुछ सामान भी रखा है। शायद कहीं, सफर हैं और यह सफर संभवत: पैदल ही किया जा रहा है। रास्ते में कहीं यह परिवार रूका है आराम करने के लिए। जमीन पर ही बैठे हैं, कुछ खाने के लिए, ताकि आगे का लंबा सफर फिर पूरा हो सके। ठंड में ही यह बच्चा नंगे पैर है। आप इन मां-बेटे की बेइंतहा तकलीफों का अंदाजा खुद लगाइए और मनाइए कि काश, ऐसा वास्तव में इनके ही नहीं, किसी के भी साथ न हो।
इस तस्वीर का सबसे मार्मिक पहलू यह है कि मां दिव्यांग है और बेटा अभी मासूम है। ऐसी उम्र जिसमें वह कुछ नहीं समझ सकता, मगर बहुत कुछ समझ गया है। मां का आधा हाथ नहीं है, इसलिए वह खुद नहीं खा सकती। बेटा प्लेट में शायद चना रखा है, उसे चम्मच से उठाकर मां को खिलाता है। यह तस्वीर बहुत कुछ कह रही है। हो सकता है किसी के शब्द हों इसे बयां करने के लिए और कोई निशब्द भी हो जाए। फिर भी पंकज नैन ने तस्वीर पोस्ट कर इसके लिए कैप्शन मांगा है। शायद वह भी सटीक शब्द नहीं खोज पा रहे होंगे कि आखिर इस भावना को क्या नाम दूं।
आपको बता दें कि पंकज नैन भारतीय पुलिस सेवा में हरियाणा कैडर के 2007 बैच के अधिकारी है। ट्विटर पर दिए अपने प्रोफाइल के मुताबिक, इंजीनियरिंग, एमबीए और एलएलबी की डिग्री हासिल कर चुके पंकज नैन एसपी, सिक्युरिटी एंड साइबर क्राइम हैं।