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ईरानी राष्‍ट्रपति का भारत दौरा आज से शुरू, मोदी और रुहानी मिलकर तय करेंगे पाकिस्‍तान के खिलाफ चक्रव्‍यूह

Published: Feb 15, 2018 01:54:41 pm

Submitted by:

Dhirendra

ईरानी राष्‍ट्रपति हैदराबाद पहुंचने वाले हैं। । भारत में उनकी आधिकारिक यात्रा शानिवार से शुरू होगी।

security tight in Hyderabad mosque
नई दिल्‍ली. ईरानी राष्‍ट्रपति हसन रुहानी का भारत दौरा आज से शुरू होने वाला है। उनकी यात्रा उस समय हुई है जब भारत और ईरान दोनों के संबंध पाकिस्‍तान से खराब है। अपनी यात्रा की शुरुआत हसन रुहानी गुरुवार को सीधे हैदराबाद से करेंगे। शुक्रवार शाम को वहां की मक्का मस्जिद में जुमा की नमाज अदा करेंगे। आपको बता दूं कि ईरान के संबंध इन दिनों सउदी अरब से अच्‍छे नहीं चल रहे हैं और वहां पर सरकार के खिलाफ बेरोजगारी और विकास को लेकर आंदोलन भी चल रहा है। हालांकि रुहानी खुद कट़टरवादी विचारों के पक्षधर नहीं है। यही कारण है कि ईरान के लोग अपने यहां उदार लोकतंत्र के हिमायती हो गए हैं। वहां के लोगों की उनसे अपेक्षा है कि वो इस दिशा में तेजी से कदम उठाएं। ताकि लोगों को पहले की तुलना में ज्‍यादा आजादी मिले। बताया जा रहा है कि उनकी भारत यात्रा की एक प्रमुख वजह ये भी है। पाक भारत का विरोधी और भारत दुनिया का महान लोकतंत्र है। ऐसे में वो भारत के साथ संबंधों को और बेहतर बनाना उनके लिए माकूल साबित हो सकता है।
भारत-ईरान पाक को देंगे नया संकेत
उनकी यात्रा के दौरान इस बात की संभावना ज्‍यादा है कि इजरायल, सउदी अरब, यूएई के बाद भारत के साथ हर स्‍तर पर संबंधों में ईरान की पहले की तुलना मे नजदीकी आए। वैसे चाबहार बंदरगाह जैसे उपक्रमों के बाद से दोनों देशों के बीच नजदीकी आई है। वर्तमान में दोनों देशों के बीच काफी बेहतर संबंध हैं। इसके बावजूद खाड़ी देशों में आपस में जारी तनाव और पाकिस्‍तान के साथ खराब रिश्‍ते को देखते हुए वो भारत को दक्षिण एशिया में प्राथमिकता दें। रक्षा जानकारों का कहना है कि ईरान भारत के साथ सैन्‍य संबंधों को भी बढ़ावा देना चाहेगा। खासकर दोनों देश पाकिस्‍तान के खिलाफ संयुक्‍त और प्रभावी रणनीति भी तय कर सकते हैं। इस मामले में आतंकवाद और कट्टरता दोनों देशों के बीच कॉमन मुद्दे हैं जिसके आधार पर पाक के खिलाफ दोनों देश कदम उठा सकते हैं। साथ ही कारोबारी रिश्‍तों के निवेश बढ़ाने पर भी जोर देगा। पिछले साल पाक समर्थित आतंकवादी हमलों के भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक किया था। उस रात भारतीय सेना के कमांडोज ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर 38 आतंकी मार गिराए थे। ठीक उसी समय पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर ईरान ने मोर्टार दागे थे।
अभी तक पाक का साथ देता रहा है ईरान
ईरान और पाकिस्‍तान के बीच नौ सौ किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। सीमा पर ईरान के दस सुरक्षाकर्मियों को 2015 में पाक के आतंकवादियों ने मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं ईरान के स्‍थायी दुश्‍मन व पड़ोसी सउदी अरब के साथ पाकिस्‍तान ने नजदीकी के संबंध बना लिए हैं। जबकि 1965 में हुए युद्ध में ईरान ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया था। बदलते राजनीतिक परिदृश्‍यों के बीच अब पाकिस्‍तान का सुन्‍नी राष्‍ट्र होना भी ईरान को खलने लगा है। ईरान और पाकिस्तान के बीच संबंधों में एक बड़ा बदलाव तब आया जब दिसंबर, 2015 में सऊदी अरब ने आतंकवाद से लड़ने के लिए 34 देशों का एक इस्लामी सैन्य गठबंधन का फैसला किया, लेकिन इस गठबंधन में शिया बहुल ईरान को शामिल नहीं किया । इसमें सऊदी अरब ने पाकिस्तान को प्रमुखता के साथ जोड़ा। यही कारण है कि ईरान भारत के और करीब आना चाहेगा।
पीएम मोदी ने दिया था भारत आने का न्‍यौता
पिछले साल जब पीएम मोदी ईरान गए थे तो उन्‍होंने ईरान के राष्‍ट्रपति को भारत आने का न्‍यौता दिया था। वैसे भी पिछले कुछ वर्षों में भारत व ईरान के बीच में आपसी संबंध काफी मजबूत हुए है। चाबहार बंदरगाह के उद्घाटन के बाद तो दोनो देशों के बीच में व्यापारिक रिश्ते काफी मजबूत हुए है। चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत वित्तीय निवेश बड़ी मात्रा में कर रहा है। हाल ही में दक्षिण पूर्वी ईरान में चाबहार बंदरगाह का उद्घाटन दिसंबर में हुआ था। ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत व अफगानिस्तान के बीच व्यापार संभव हो सकेगा। उस समय रुहानी ने कहा कि चाबहार बंदरगाह न केवल व्‍यापारिक दृष्टि से बल्कि सामरिक दृष्टि से भी भारत, अफगानिस्‍तान, और ईरान के लिए काफी अहम है। उन्‍होंने कहा कि भारत की चाबहार पर उपस्थिति से इस क्षेत्र का सामरिक समीकरण बदलेगा। पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर चीन की उपस्थिति को चुनौती देने के लिए ईरान का चाबहार बंदरगाह विकसित हुआ है। ग्वादर बंदरगाह पर जहां चीन निवेश कर रहा है वहीं चाबहार बंदरगाह पर भारत निवेश कर रहा है।

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