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Mumbai Flood: क्या 140 साल पुराना Drainage System है इसकी वजह?

locationनई दिल्लीPublished: Aug 08, 2020 09:28:28 am

1974 के 46 वर्षों बाद अगस्त में एक दिन के भीतर बुधवार को हुई सर्वाधिक बारिश ( Heavy Rain In Mumbai ) और दक्षिणी मुंबई ( mumbai flood ) में आ गई बाढ़।
अंग्रेजों द्वारा डिजाइन किए गए इस टापू रूपी शहर की जल निकासी प्रणाली ( drainage system ) 140 साल पुरानी है।
उस वक्त ज्यादातर इलाका हरा-भरा और खुला था, लेकिन आज बेहद सघन ( population density ) हो चुका है।

 

Is 140 years old drainage system causing Mumbai Flood

Is 140 years old drainage system causing Mumbai Flood

नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजधानी और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के दक्षिणी इलाके के बड़े हिस्से में बुधवार को बाढ़ ( mumbai flood ) आ गई। इसकी वजह 46 वर्षों बाद शहर में अगस्त में एक दिन में सर्वाधिक 293.8 मिलीमीटर जितनी भारी बारिश ( Heavy Rain In Mumbai ) का होना बताया जा रहा है। लेकिन क्या वाकई में मुंबई में बाढ़ आने की वजह एक दिन में ऐतिहासिक रूप से हुई भारी और मूसलाधार बारिश ही है या फिर यहां की 140 साल पुरानी जल निकाली प्रणाली ( water drainage system ) यानी ड्रेनेज सिस्टम।
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरणविद देबी गोयनका ने बताया, “अंग्रेजों द्वारा डिजाइन किए गए इस टापू रूपी शहर की जल निकासी प्रणाली ( city drainage system ) 140 साल पुरानी है। उस समय अधिकांश शहर हरा-भरा था। जल निकासी व्यवस्था को यह देखते हुए डिजाइन की गई थी कि बारिश का 50 प्रतिशत पानी नालियों से होकर जाएगा और शेष भूजल में परिवर्तित हो जाएगा। अब दक्षिण मुंबई में बहुत ही कम हिस्से खुले हैं लेकिन भूमिगत जल निकासी व्यवस्था ( poor drainage system ) एक जैसी ही है।”
मुंबई में पिछले 80 वर्षों में बारिश की मात्रा अपरिवर्तित रही है। उस वक्त मुंबई में भारी मात्रा में खुले स्थान थे और इस पुरानी जल निकासी प्रणाली के साथ उस वक्त पानी का तेजी निकलना (परावर्तन) और इसका तेजी से जमीन में समाना आसान था। इसके बाद खुले स्थानों पर बढ़ते क्रंक्रीट के जंगलों के साथ खुले स्थान कम होते गए और पानी का परावर्तन उस तरह से नहीं हुआ जैसा कि पहले हुआ करता था।
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बुधवार को दक्षिण मुंबई के कई इलाकों में जहां आमतौर पर जल-जमाव देखने को नहीं मिलता हैं, घंटों तक बाढ़ ( Mumbai Flooded ) में डूबे रहे। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार नौ घंटों में इसके कोलाबा वेधशाला में 225 मिमी वर्षा दर्ज की गई। पिछली बार इस क्षेत्र में बुधवार की तुलना में 1974 में इससे ज्यादा भारी बारिश हुई थी। चर्चगेट, मरीन ड्राइव, फोर्ट, गिरगांव, खेतवाड़ी, वॉकेश्वर रोड, जेजे मार्ग, गोल देओल, भिंडी बाजार, कालबादेवी जैसे इलाकों में बाढ़ आ गई और कई घरों में पानी घुस गया।
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अर्बन प्लानर और अर्बन डिज़ाइन रिसर्च इंस्टीट्यूट (यूडीआरआई) के कार्यकारी निदेशक पंकज जोशी ने कहा कि शहर को जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर अपनी योजना में बदलाव करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, “कुछ अभी भी जलवायु परिवर्तन से इनकार कर रहे हैं। कुछ घंटों में भारी बारिश की यह घटना अक्सर हो रही है। हमारा तूफानी जल निकास नेटवर्क 25 मिमी से 50 मिमी प्रति घंटे तक जल निकासी कर सकता है, लेकिन 280 मिमी पानी निकालना लगभग असंभव है। आपको तैयार रहने और जल्दी से यह समझने की आवश्यकता है कि हमारे शहर को इंजीनियरिंग की आवश्यकता है। अब हमें प्रबंधन के बजाय आपदा को रोकने पर काम करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि BMC की BRIMSTOWAD (बृहन्मुंबई स्टॉर्म वाटर ड्रेन सिस्टम) परियोजना 13 वर्षों से चल रही है। इसमें 58 काम शामिल थे, जिसमें भूमिगत नालियों का पुनर्वास और संवर्द्धन, नालों के चौड़ीकरण और गहरीकरण और पंपिंग स्टेशनों का निर्माण शामिल था। अब तक 1,200 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद नागरिक निकाय ने केवल 38 कार्य पूरे किए हैं।
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बीएमसी के आंकड़ों के अनुसार इस शहर में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व ( population density ) है, जिसमें 1 वर्ग किमी में लगभग 46,000 लोग रहते हैं। जबकि शहर का औसत जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किमी 29,000 होता है। 31.58 लाख की आबादी के साथ द्वीप शहर 68.71 वर्ग किमी में फैला हुआ है और शहर का सबसे पुराना हिस्सा होने के कारण, इसे विकसित करने के लिए शायद ही कोई जगह है। हालांकि, पर्यावरण एक्टिविस्ट्स ने बताया कि तटीय सड़क के साथ-साथ पिछले कुछ वर्षों से चल रहे मेट्रो के निर्माण ने दक्षिण मुंबई के शहरी बुनियादी ढांचे को गति दी है।
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मुंबई में कमला रहेजा विद्यानिधि इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्चर में प्रोफेसर हुसैन इंदौरवाला ने कहा, “इस समस्या को निर्माण और संयोजन के कारण बन मिला है। इस तरह की परियोजनाओं के दौरान लगाए जाने वाले बैरियर्स, निर्माण सामग्री और मलबास जल निकासी प्रणाली को रोक सकते हैं। आप जितने अधिक कठोर अवरोध पैदा करते हैं, उतना ही पानी बंद हो जाता है। इनमें से कुछ स्थितियां अपरिहार्य हैं, लेकिन तब आपके पास जलभराव को कम करने के लिए सही जल निकासी चैनल ( drainage system ) होना चाहिए।”
पिछले दिनों बीएमसी ने मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को मेट्रो 3 (कोलाबा-सीप्ज़) के काम को रोकने और नालियों को क्षतिग्रस्त करने के लिए लिखा है। इस बीच BMC का मानना है कि बुधवार को जो कुछ हुआ था, वह मौसम की विसंगति थी और बाढ़ भारी बारिश का परिणाम थी, जो इस क्षेत्र में कम वक्त के भीतर देखने को मिली।
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“तटीय सड़क परियोजना के ठेकेदारों ने नाली के पानी के निर्वहन के लिए सभी सावधानियां बरती हैं। नायर अस्पताल के पास एक स्थान पर, उनके काम के कारण नालियों का कुछ भरा हुआ था, लेकिन यह भी उनके द्वारा साफ कर दिया गया है। बीएमसी के तूफान जल निकासी विभाग के एक अधिकारी ने कहा, बहुत कम समय में भारी बारिश इन क्षेत्रों में बाढ़ का कारण है।
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2011 में प्रकाशित द जर्नल ऑफ क्लाइमेट चेंज में दो दर्जन से अधिक विशेषज्ञों द्वारा तैयार एक संयुक्त पेपर में कहा गया था कि मुंबई में ड्रेनेज सिस्टम को अपग्रेड करके, एक-सौ साल की बाढ़ की घटना से जुड़े नुकसान को 70 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
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