सबसे ज्यादा सैटेलाइट लॉन्चिंग वाला देश बना भारत
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत दुनिया में सबसे सस्ती सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए जाना जाता है। अमरीका, चीन और जापान जैसे टेक्नोलॉजी के दिग्गज देश इस क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों के आगे बौने नजर आते हैं। श्रीहरिकोटा से गुरुवार को की गई लॉन्चिंग के साथ ही भारत ने 250 विदेशी सैटेलाइट को लांच और कक्षा में स्थापित कर मील का पत्थर पार कर लिया है। भारत अब तक 269 विदेशी सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर चुका है। जो संभवत दुनिया में सबसे ज्यादा है।
104 सैटेलाइट लॉन्च कर किया था दुनिया को हैरान
इससे पहले इसरो फरवरी,2017में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के माध्यम से एक साथ 104 सैटेलाइट को छोड़ कर रूस के 37 उपग्रहों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इतिहास रच दिया था। गुरुवार को इसरो ने जिन विदेशी सैटेलाइलों को लॉन्च किया उसमें अमरीका के 23 हैं। इसके अलावा बाकी सैटेलाइट ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कोलंबिया, फिनलैंड, मलेशिया, नीदरलैंड और स्पेन के हैं।
भारतीय अंतरिक्ष ने दिया उत्कृष्टता का परिचय: के. सिवन
पीएसएलवी-सीए रॉकेट के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि एक बार फिर भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने अपनी उत्कृष्टता का परिचय दिया है। पीएसएलवी ने हायसिस और उसके बाद 30 विदेशी सैटेलाइट को अपनी-अपनी कक्षा में स्थापित कर दिया है। उन्होंने कहा कि हायसिस एक अत्याधुनिक सैटेलाइट है। उपग्रह की मुख्य चीज ऑप्टिकल इमेजिंग चिप को इसरो के सेटेलाइट एप्लीकेशंस सेंटर (एसएसी) द्वारा डिजाइन और सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी द्वारा बनाया गया है। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह और वस्तुओं पर पैनी निगाह रखने में सक्षम है।
पांच दिसंबर को भी कमाल करेगा इसरो
इसरो चेयरमैन सिवन ने इसके साथ यह भी बताया कि अगला मिशन पांच दिसंबर को फ्रेंच गुयाना से संचार उपग्रह जीसैट-11 का प्रक्षेपण होगा, जिसे भारतीय रॉकेट भू-समकालिक उपग्रह लॉन्च यान द्वारा छोड़ा जाएगा। इसके बाद जीसैट-7ए सैटेलाइट भी लांच किया जाएगा। सिवन के अनुसार, 2019 में इसरो के मिशन में चंद्रयान-2 और माइक्रो, रीसैट व काटरेसैट उपग्रह शामिल हैं।
पीएसएलवी-सीए के बारे में जानिए
आज 44.4 मीटर लंबे और 230 टन वजनी पीएसएलवी-सीए (कोर अलोन) संस्करण ने सुबह 9.58 बजे प्रक्षेपण स्थल से उड़ान भरी। उड़ान के बाद 16 मिनट में रॉकेट के चौथे चरण को बंद कर दिया गया और इसके एक मिनट बाद ही पांच सालों की जीवन अवधि वाला भारतीय उपग्रह हायसिस निर्धारित कक्षा 636 किलोमीटर दूर ध्रुवीय सूर्य समन्वय कक्ष (एसएसओ) में स्थापित हो गया। इसके बाद रॉकेट को 30 अन्य विदेशी उपग्रहों को स्थापित करने के लिए 503 किलोमीटर की निचली कक्षा में लाया गया। हायसिस के प्रक्षेपण के बाद, उड़ान के 59.65 मिनट बाद रॉकेट के चौथे चरण को फिर से शुरू किया गया। पीएलएलवी रॉकेट अपने साथ 380 किलोग्राम वजनी हायसिस और आठ देशों के कुल 261 किलोग्राम के एक माइक्रो व 29 छोटे उपग्रह लेकर गया था। रॉकेट की उड़ान के 112.79 मिनट में आखिरी विदेशी उपग्रह के कक्षा में स्थापित होने के बाद रॉकेट को बंद कर दिया गया। सभी उपग्रह 505 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित हो गए।