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अंतिम वक्त में इतिहास रचने से चूका इसरो, अत्याधुनिक निगरानी सैटेलाइट की लॉन्चिंग टाली

locationनई दिल्लीPublished: Mar 04, 2020 05:18:56 pm

GISAT-1 लॉन्च की उल्टी गिनती बुधवार दोपहर 3.45 बजे से होनी थी शुरू।

पृथ्वी की निगरानी करने वाला देश का पहला एडवांस्ड सैटेलाइट है यह।

बृहस्पतिवार शाम 5.43 बजे श्रीहरिकोटा से प्रस्तावित थी GSLV-F10 लॉन्च।
 

ISRO GISAT-1

ISRO GISAT-1

चेन्नई। चंद्रयान-2 मिशन में अपेक्षित सफलता ना मिलने के बाद इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) लगातार अपने नए-नए कारनामे कर रहा है। हालांकि बृहस्पतिवार को फिर एक बार फिर नया इतिहास लिखने को तैयार इसरो इससे चूक गया है। इसरो ने श्रीहरिकोटा से पृथ्वी की निगरानी करने वाले देश के पहले अत्याधुनिक उपग्रह जियो इमेजिंग सैटेलाइट-1 (GISAT-1) के लॉन्च को फिलहाल टाल दिया है। इसरो ने इसकी जानकारी बुधवार अपराह्न् 3.43 बजे काउंट डाउन से कुछ मिनट पहले दी।
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इसरो के ताजा ट्वीट के मुताबिक, “5 मार्च, 2020 के लिए GISAT-1 ऑनबोर्ड GSLV-F10 की लॉन्चिंग तकनीकी कारणों से स्थगित कर दी गई है। नियत समय में संशोधित लॉन्च की तारीख की सूचना दी जाएगी।”
https://twitter.com/ANI/status/1235141382337003520?ref_src=twsrc%5Etfw
इससे पहले इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि यह अत्याधुनिक सैटेलाइट गुरुवार 5 मार्च 2020 की शाम को लॉन्च किया जाएगा। जीसैट-1 का वजन 2,268 किलोग्राम है। इसे तीन चरणों के जियो-सिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV-F10) से लॉन्च किया जाना था।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक 51.70 मीटर लंबे और 420 टन वजनी जीएसएलवी-एफ10 रॉकेट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से 5 मार्च शाम 5.43 बजे लॉन्च करने की तैयारी थी।
श्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग के 18 मिनट बाद जीएसएलवी रॉकेट जीसैट-1 को पहले जियो सिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट (GTO) में पहुंचा देता। फिर यह जीटीओ से इसके बाद सैटेलाइट को जियो स्टेशनरी आर्बिट में ले जाता।
https://twitter.com/hashtag/ISRO?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
जियोस्टेशनरी कक्षा (पृथ्वी से 36,000 किमी ऊपर) में एक उपग्रह की आर्बिटल अवधि, पृथ्वी की रोटेशनल अवधि के बराबर होती है।

गौरतलब है कि इससे पहले इसरो ने बीते 11 दिसंबर को सिंथेटिक अपर्चर रडार के साथ अपने निगरानी उपग्रह रिसेट-2 बीआर1 का प्रक्षेपण किया था।
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उन्होंने कहा था कि सिंथेटिक अपर्चर रडार के साथ एक और रडार इमेजिंग उपग्रह 2बीआर2 जल्द ही इस मिशन के बाद लॉन्च होगा। इस तरह के तेज-तर्रार उपग्रहों का एक समूह निरंतर पृथ्वी पर निगरानी के लिए आवश्यक है।
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