GSAT-6A की ये हैं खास बातें : -अगस्त 2015 में GSAT-6 को लॉन्च करने के बाद S-बैंड कम्युनिकेशन सेटेलाइट GSAT-6A भारत का दूसरा सेटेलाइट है। -270 करोड़ रुपए की लागत से बना सैटेलाइट 2017-18 वित्तीय वर्ष में लॉन्च होने वाला अंतिम सेटेलाइट होगा। सैटेलाइट के रॉकेट का वजन 415.6 टन है और इसकी ऊंचाई 49.1 मीटर है। GSLV-F08 रॉकेट लिफ्टऑफ के बाद सेटेलाइट को 17 मिनट और 46.50 सेकेंड में ऑर्बिट में पहुंचाएगा।
-S-बैंड विद्युत चुम्बकीय स्पेकट्रम क्षमता वाली ये सैटेलाइट 2 से 4 गीगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी को कवर करने में सक्षम है। यह अन्य कम्यूनिकेशन सेटेलाइट, मौसम रडार और सतह जहाज रडार द्वारा उपयोग किया जा सकता है। महत्वपूर्ण बात ये है कि S-बैंड सेटेलाइट का 2.5 गीगाहर्ट्ज बैंड 4G ट्रांसमिशन के लिए उपयोग किया जाता है और दूरसंचार दिग्गजों के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण है।
-GSAT-6A में हब कम्यूनिकेशन लिंक के लिए 0.8 मीटर लंबा एंटीना भी होगा। इसका अनफर्बल एंटेना 6 मीटर लंबा और इसका आकार छाता की तरह है एक बार सेटेलाइट ऑर्बिट में प्लेस हो जाएगा एंटेना खुल जाएगा और ये सामान्य एंटीना की तुलना में लगभग तीन गुना व्यापक होगा।
-इसरो इसके जरिए नेटवर्क प्रबंधन तकनीकों जैसे 6m S -बैंड अनफर्बल एंटीन और हैंडहेल्ट ग्राउंड टर्मिनलों के प्रदर्शन के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जा सकेगा। 6. संचार की जरूरतों के अलावा GSAT-6A भारतीय सेना के लिए लाभकारी होगा। यह सेना की दूरसंचार और कम्युनिकेशन संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा। इसके जरिए अलग-अलग सैन्य एजेंसियों के बीच तालमेल को बढ़ावा मिलेगा।
-जब GSAT-6A ऑर्बिट में होगा तो वह मल्टी-बीम कवरेज सुविधा प्रदान करेगा और पांच स्पॉट बीम में S-बैंड और एक बीम में C-बैंड होगा। गौरतलब है कि इसरो अभी तक 95 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च कर चुका है। इसरो ने जनवरी में ही अपना 100वां सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा था और उस लॉन्च में भारत के इन 3 स्वदेशी उपग्रहों के अलावा कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के 28 सैटेलाइट भी लॉन्च किए गए थे।