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चंद्रयान-2 के बाद इसरो का बड़ा कदम, रूस से लेगा गगनयान मिशन के जरूरी सिस्टम

locationनई दिल्लीPublished: Nov 03, 2019 07:45:22 pm

रूस स्पेसक्राफ्ट और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए देगा सिस्टम।
रूस के पास है स्पेस फ्लाइट सिस्टम बनाने में विशेषज्ञता।
मिशन 2022 पूरा करने के लिए भारत को रूस पर भरोसा।

गगनयान मिशन

ISRO मानव मिशन गगनयान

नई दिल्ली। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के महात्वाकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन में आई अड़चनों के बाद अब देश अगले महात्वाकांक्षी अभियान के लिए तैयारी में जुटा है। अंतरिक्ष में मानव भेजने वाले देश के पहले गगनयान अभियान के लिए अब हिंदुस्तान अपने भरोसेमंद मित्र और अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले विमानों के विशेषज्ञ रूस की मदद लेगा।
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इंसानों को ले जाने वाले भारत के पहले गगनयान मिशन के लिए रूस मदद को तैयार हो गया है। रूस ना केवल भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को गगनयान अभियान के लिए प्रशिक्षित करेगा, बल्कि वो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लाइफ सपोर्ट सिस्टम और स्पेसक्राफ्ट को गर्म रखने वाला सिस्टम भी मुहैया कराएगा।
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इस संबंध में रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस की सहयोगी कंपनी Glavkosmos ने पिछले सप्ताह इसरो के ह्युमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (एचएसएफसी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
https://twitter.com/glavkosmosJSC?ref_src=twsrc%5Etfw
रॉसकॉसमॉस द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक यह समझौता इंसान को भेजे जाने वाले अंतरिक्षयान गगनयान की तापमान व्यवस्था और लाइफ सपोर्ट सिस्टम के लिए रूस के फ्लाइट उपकरणों के इस्तेमाल की संभावना को जांचने वाली परियोजना के निरीक्षण के लिए किया गया है।
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दिसंबर 2021 में लॉन्च किए जाने वाले इस गगनयान मिशन की लागत तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये आएगी। इसके दो बेहद जरूरी हिस्सं के लिए Glavkosmos के महानिदेशक डिमित्री लोसकुतोव और एचएसएफसी के प्रमुख उन्नीकृष्णन नायर ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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क्या है लाइफ सपोर्ट सिस्टम

यह कई डिवाइसों को मिलाकर बनाया जाने वाला एक ऐसा सिस्टम है जो किसी व्यक्ति को अंतरिक्ष में जिंदा रखने के लिए जरूरी है। यह सिस्टम अंतरिक्ष यात्री को पानी, हवा और भोजन प्रदान करता है। शरीर का उचित तापमान बनाए रखता है और ह्युमन वेस्ट प्रोडक्ट्स से निपटता है।
https://twitter.com/hashtag/ISRO?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
थर्मल कंट्रोल सिस्टम

किसी भी अंतरिक्षयान के तापमान नियंत्रण के बेहद जरूरी। यह पूरे अभियान के दौरान स्पेसक्राफ्ट के भीतर हर उपकरण के लिए जरूरी तापमान मुहैया कराने वाला सिस्टम होता है। इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर किसी उपकरण को निर्धारित तापमान नहीं दिया गया तो जरूरत से ज्यादा या कम तापमान में वो सिस्टम ही बेकार हो सकता है और अभियान पर गंभीर असर पड़ सकता है।
कैबिनेट ने 10 हजार करोड़ रुपए किए मंजूर

भारत के पहले अंतरिक्ष मानव मिशन ‘गगनयान’ को 28 दिसंबर 2018 केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। इसरो के इस महत्वकांक्षी अभियान पर 10 हजार करोड़ रुपए की लागत का अनुमान है।
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लाल किले से पीएम मोदी ने किया था ऐलान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त 2018 को लाल किले से घोषणा की थी कि वर्ष 2022 तक इसरो देश के पहले मानव मिशन को अंजाम देगा। पीएम ने अपने संबोधन में कहा था कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में हमारा और हमारे वैज्ञानिकों का एक सपना है।
उन्होंने कहा था कि यह घोषणा करने में प्रसन्नता हो रही है कि वर्ष 2022 तक 75वें स्वतंत्रता साल पर हम अंतरिक्ष में एक मानव मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं। पीएम ने कहा कि हम वर्ष 2022 या उससे पहले अंतरिक्ष में भारतीय को पहुंचाएंगे। इसरो इस परियोजना पर वर्ष 2004 से ही काम कर रहा है।
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