विविध भारत

सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ IUML ने दाखिल की पहली याचिका, रद्द करने की मांग

धर्म के आधार पर भेदभाव की संविधान इजाजत नहीं देता
IUML ने CAB को रद्द करने की मांग की
मुस्लिम लीग के 4 सांसदों ने दाखिल की याचिका

Dec 12, 2019 / 12:06 pm

Dhirendra

नई दिल्‍ली। नागरिकता संशोधन विधेयक ( cab ) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका गुरुवार को दाखिल हो गई है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के चार सांसदों ने अपनी याचिका में कहा कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण की संविधान इजाजत नहीं देता। CAB संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। इसलिए CAB को रद्द किया जाए।
IUML ने अपनी याचिका में कहा है कि नागरिकता संशोधन बिल संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ट्वीन टेस्ट पर खरा नहीं उतरता है। धर्म के आधार पर वर्गीकरण को संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। ये विधेयक संविधान में वर्णित सेक्युलरिज्म के मूल सिद्धांतों का हनन करता है।
मुस्लिम लीग के 4 सांसदों की तरफ से याचिका दाखिल हुई है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण की संविधान इजाजत नहीं देता। ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल लड़ेंगे केस

मुस्लिम लीग के सांसद पीके कुनहालकुट्टी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि हमने कल बुधवार को संसद से पास नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ केस फाइल कर दिया है। यह हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। यह संविधान के मूल भावना के बिल्कुल खिलाफ है और किसी को भी धर्म के आधार पर इसको नष्ट करने नहीं दिया जाएगा।
कुनहालकुट्टी ने कहा कि कैसे आप किसी अवैध घुसपैठ को मान्यता देते हुए नागरिकता प्रदान कर सकते हैं। हमने अपने वकील के तौर पर कपिल सिब्बल को नियुक्त किया है। मुस्लिम लीग के सांसद ने नागरिकता संशोधन बिल के पास होने को काला दिन करार दिया।

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