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जयपुर की रॉयल फैमिली ने सरकार के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन

जयपुर लौटते ही सीएम वसुंधरा राजे जुटी डैमेज कंट्रोल में, लेकिन नहीं बनी बात

Sep 01, 2016 / 01:24 pm

अमनप्रीत कौर

Jaipur Royal family

जयपुर। होटल राजमहम पैलेस के परिसर पर जेडीए की कार्रवाई के बाद अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। कब्जे को लेकर पूर्व राजपरिवार सहित राजपूत समाज और विभिन्न संगठन के लोगों ने सरकार के विरोध में गुरुवार को शहर के त्रिपोलिया गेट पर प्रदर्शन किया। इसके बाद एक रैली के रूप में इन सभी ने राजमहल पैलेस तक का कूच किया। रैली की अगुवाई राजपरिवार की सबसे वरिष्ठ सदस्य पद्मिनी देवी ने की। इस दौरान राजघरान के प्रमुख पद्मनाभ सिंह भी मौजूद रहे।

सीएम वसुंधरा राजे पहुंची जयपुर

पांच दिन भूटान फिर दो दिन के दिल्ली प्रवास के बाद बुधवार शाम को जैसे ही मुख्यमंत्री जयपुर लौटीं, तूल पकड़ चुके राजमहल पैलेस जमीन विवाद में आई तल्खी को कम करने के प्रयास में जुट गईं। विधानसभा सत्र शुरू होने से सरकार इस जुगत में थी कि पूर्व राजघराने को गुरुवार के शक्ति प्रदर्शन नहीं करने के लिए मना लिया जाए, लेकिन जेडीसी शिखर अग्रवाल को हटाए जाने की मांग नहीं मानने से बात नहीं बनी।

मामले में सीएम की चिन्ता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि विधायक दल की बैठक भी जल्द निपटा दी गई। दिल्ली में भी राजपूत लॉबी सक्रिय है उसने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मसले में दखल की मांग की है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर के ट्वीट करने एवं केन्द्र के अन्य कांग्रेसी नेताओं के पूर्व राजपरिवार को समर्थन देने और करणी सेना, राजपूत एवं गैर राजपूत संगठनों के आंदोलन में कूद पडऩे से सरकार की चिंता बढ़ गई। मामला उलझता देख मुख्यमंत्री ने जयपुर आने से पहले अपनी केबिनेट के तीन राजपूत मंत्रियों को इस मामले में बातचीत कर फीडबैक तैयार रखने के निर्देश दिए थे।

फिर मुख्यमंत्री पर छोड़ा मामला

बात बनती नहीं दिखी तो मंत्रियों ने पूरा मामला मुख्यमंत्री के सामने रखने और रात तक ही इसका हल निकालने का आश्वासन दिया, लेकिन इस पर भी लोग टस से मस नहीं हुए। उन्होंने दो टूक कहा कि राजपूत समाज की बेटी दीया कुमारी के साथ कथित असम्मानजनक व्यवहाकर करने पर पहले जेडीसी को हटाना होगा और इसके बाद ही गेट खुलेगा।

उत्तरप्रदेश में भुगतना होगा

राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने मंत्रियों को दो टूक कह दिया कि इस मामले में जल्द सरकार ने हल नहीं निकाला तो भाजपा को उत्तर प्रदेश चुनाव में भुगताना पड़ सकता है। इसके लिए अखिल भारतीय क्षत्रीय महासभा का भी समर्थन मिल गया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में राजपूत समाज के 16-17 प्रतिशत मतदाता होने का दावा किया है।

अफसर होंगे नाराज

सरकार जेडीसी को हटा कर ब्यूरोक्रेसी को गलत संदेश नहीं देना चाहती। 4 आईएएस अफसरों के जेल जाने से पहले ही अफसरों में रोष है। वहीं देर रात को पुलिस उपायुक्त ने आंदोलनकारियों को राजमहल पैलेस के मुख्य गेट की सील नहीं तोडऩे की चेतावनी दी है।

पहले जेडीसी को हटाओ, फिर खोलो गेट

चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़, उद्योग मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर व नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह ने करणी सेना, राजपूत सभा, प्रताप फाउंडेशन समेत अन्य संगठनों को बातचीत के लिए खींवसर के सिविल लाइंस स्थित निवास बुलाया। मंत्रियों ने रैली टालने का आग्रह किया। होटल की तरफ मुख्य गेट की सील खोलने को कहा। लेकिन वे नहीं माने, कहा- पहले विधायक दीया कुमारी का अपमान करने वाले जेडीसी को हटाएं, फिर गेट खोलें। मंत्री यहां तक बोले कि जेडीसी के आचरण की जांच कमेटी से करवाएं। लेकिन बात नहीं बनी। राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराजसिंह, प्रताप फाउंडेशन के महावीर सिंह, करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष महिपालसिंह आदि से बातचीत 25 मिनट चली, लेकिन बेनतीजा रही। अब गुरुवार को रैली होगी। तीनों मंत्री इसके बाद 8, सिविल लाइंस गए। जहां विधायक दल की बैठक के बाद सारा वाकया मुख्यमंत्री को बताया।

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