जानकारी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के दोनों प्रमुख नेताओं को सक्रिय राजनीति से कुछ दिन दूर रहने का वादा लिए जाने के बाद ही नजरबंदी से मुक्त किया जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं को राजनीति से दूर रखने के लिए कुछ दिन ब्रिटेन भेजा जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ऐसा प्रस्ताव तैयार करके दोनों नेताओं से संपर्क कर सकती है। रिपोर्ट्स की मानें तो एक चर्चा यह भी है कि दोनों को कुछ समय के लिए ब्रिटेन भेजने का रास्ता निकाला जाए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दोनों नेता देश से बाहर रहते हुए जम्मू-कश्मीर में मौजूद अपने पार्टी एजेंट्स की मदद से भी मामलों को देख सकते हैं।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से दोनों नेता नजरबंद हैं। इतना ही नहीं फारूक अब्दुल्ला पर पीएसए लगाकर उन्हें घर में ही नजरबंद कर दिया गया था। हालांकि, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की रिहाई को लेकर अभी कोई संकेत नहीं मिले हैं। यहां आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कश्मीर घाटी में इंटरनेट पर रोक और धारा 144 पर रोक के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चंद घंटे बाद कश्मीर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सहित 26 लोगों पर लगा कड़ा जनसुरक्षा कानून (पीएसए) हटा लिया है। इन 26 लोगों में से 11 लोग उत्तरी कश्मीर से और 14 लोग दक्षिणी कश्मीर से हैं। वहीं, कश्मीर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नजीर अहमद रोंगा भी इन लोगों में शामिल हैं। अब देखना यह है कि इस समझौते पर फारूक और उमर अब्दुल्ला तैयार होते हैं या फिर कोई परिणाम सामने आता है।