जानकारी के मुताबिक, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और राज्यसभा सदस्य गुलाम नबी आजाद को श्रीनगर के वीवीआईपी जोन में मिला सरकारी बंगला छोड़ना पड़ा है। ये सरकारी बंगले जम्मू-कश्मीर के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र रहने के लिए मिला करते थे जिनका किराया भी नहीं लगता था, लेकिन अनुच्छेद 370 और 35ए के तहत राज्य को मिला विशेष दर्जा हटने के बाद अब चीजें बदल गई हैं। वहीं, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को एक नबंवर तक अपना सरकारी बंगाल खाली करना होगा। राज्य संपत्ति विभाग ने इन मकानों में मौजूद सरकारी चीजों, मसलन फर्नीचर वगैरह की लिस्ट बना ली है। गौरतलब है कि महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला पिछले पांच अगस्त से नजरबंद हैं।
यहां आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल सदस्य पेंशन ऐक्ट, 1984 के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्रियों को ये आजीवन सुविधाएं दी जा रही थीं। साल 1996 के बाद से कई बार इसमें संशोधन करके और सुविधा व सहूलियतें बढ़ाई गई थीं। लेकिन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 के लागू होने की तारीख, 1 नवंबर के बाद से ये सारे लाभ मिलना बंद हो जाएंगे। इधर, सरकार के इस फैसले पर सियासत भी गरमा गई है।