शेर-ए-कश्मीर मेडल फॉर गेलेंटरी सर्विस से किया गया सम्मानित
हम बात कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर पुलिस के एसएसपी युगल मनहास की। उन्हें बहादुरी से ड्यूटी करने के लिए इस बार स्वतंत्रता दिवस पर शेर-ए-कश्मीर मेडल फॉर गेलेंटरी सर्विस से सम्मानित किया जाएगा। वह पहले भी राष्ट्रपति मेडल के अलावा कई मेडल से नवाजे जा चुके हैं। युगल मनहास इससे पहले किश्तवाड़ एसएसपी रह चुके हैं। वह आतंकियों से मुकाबला करने वाले आपरेशन ग्रुप एसओजी में तैनात रह चुके हैं।
कब लगी थी गोली
23 मार्च 2007 को वह पुंछ के मेंढर में एसडीपीओ तैनात थे। उस समय आतंकी हमला हुआ। वह अपने घर से आफिस के लिए निकले थे। करीब साढे़ नौ बजे आफिस के पास ही घात लगाकर बैठे आतंकियों ने हमला कर दिया। उनकी जिप्सी पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। उन्हें एके 56 राइफल की पांच गोलियां बाजू छाती तथा टांगों को लगी। उनके चालक जहूर अहमद को भी एक गोली बाजू पर लगी। आतंकी उन्हें अपनी तरफ से मार कर भाग गए।
चार गोलियां लगी थी शरीर में
हमले के बाद जब पुलिस की टीम मौके पर पहुंची तो युगल मनहास की सांसे चल रही थीं। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उसके बाद हेलीकाप्टर से जम्मू के मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। डाक्टरों ने उनकी चार गोलियां निकाल दीं। खून काफी बह गया था। इसलिए काफी खून भी उन्हें चढ़ाया गया, लेकिन एक गोली को डाक्टर नहीं निकाल पाए। क्योंकि गोली छाती की पस्लियों के बीच मसल में फंसी हुई थी।
गोली निकालने से जा सकती है मनहास की जान
युगल मनहास को स्पेशल इलाज के लिए दिल्ली के एम्स भी लाया गया था। एम्स में उनका इलाज चला। लेकिन डाक्टर गोली नहीं निकाल पाए। डाक्टरों की तरफ से तर्क दिया गया कि गोली ऐसी जगह फंसी है जिसे निकालने का प्रयास किया गया तो जान भी जा सकती है। ठीक होने के बाद उन्होंने फिर से ड्यूटी ज्वाइन की। आज भी वह शरीर में गोली लेकर ड्यूटी कर रहे हैं। शरीर के अंदर गोली होने के कारण कई बार दर्द होता है, जिसके लिए दवा खानी पड़ती है।