एमएसजे को भेजा इस्तीफा
मक्का मस्जिद मामले में फैसला देने के कुछ देर बाद ही इस्तीफा देने वाले जज के रविन्द्र रेड्दी ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से अपना इस्तीफा दिया है। उन्होंने इस बात के कोई संकेत नहीं दिए हैं कि फैसला सुनाने को लेकर वह किसी दबाव में थे या नहीं। बशर्ते कि रेड्डी ने कहा कि उनके इस्तीफे का आज के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है। एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी के मुताबिक एनआईए जज अपना इस्तीफा एमएसजे को भेज दिया है। बताया जा रहा है कि रेड्डी कुछ समय पहले ही इस्तीफा देना चाहते थे लेकिन उन्होंने इसे टाल दिया था। इसके पीछे बताया जा रहा है कि अगर वो फैसला देने से पहले इस्तीफा दे देते तो उनकी जगह लेने वाले जज को पूरी केस को फिर से सुनना पड़ता। इसलिए उन्होंने फैसला देने के बाद अपना इस्तीफा दिया है।
मक्का मस्जिद मामले में फैसला देने के कुछ देर बाद ही इस्तीफा देने वाले जज के रविन्द्र रेड्दी ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से अपना इस्तीफा दिया है। उन्होंने इस बात के कोई संकेत नहीं दिए हैं कि फैसला सुनाने को लेकर वह किसी दबाव में थे या नहीं। बशर्ते कि रेड्डी ने कहा कि उनके इस्तीफे का आज के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है। एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी के मुताबिक एनआईए जज अपना इस्तीफा एमएसजे को भेज दिया है। बताया जा रहा है कि रेड्डी कुछ समय पहले ही इस्तीफा देना चाहते थे लेकिन उन्होंने इसे टाल दिया था। इसके पीछे बताया जा रहा है कि अगर वो फैसला देने से पहले इस्तीफा दे देते तो उनकी जगह लेने वाले जज को पूरी केस को फिर से सुनना पड़ता। इसलिए उन्होंने फैसला देने के बाद अपना इस्तीफा दिया है।
एनआईए के अधिकारियों ने दी सधी प्रतिक्रिया
मक्का मस्जिद धमाके में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद एनआइए के अधिकारियों ने सधी प्रतिक्रिया दी है। एनआइए का कहना है कि अदालत के फैसले की प्रति मिलने और उस पर कानूनी विचार-विमर्श के बाद ही इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील का निर्णय लिया जाएगा। एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम हाईकोर्ट में अपील की संभावना को नकार नहीं रहे हैं। लेकिन अदालत के फैसले की प्रति मिले बिना इस पर निर्णय नहीं लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है। फैसले की प्रति मिलने के बाद कानूनी विशेषज्ञों से इस पर राय ली जाएगी। यदि अदालत के फैसले में कोई कमी नजर आई, तो हम निश्चित रूप से हाईकोर्ट में अपील करेंगे। वैसे उन्होंने मक्का मस्जिद धमाके की जांच के बारे में कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया। उनका कहना था कि जांच के दौरान हमें जो भी सुबूत मिले, उन्हें अदालत के सामने पेश कर दिया गया। अब देखना यह है कि किन आधारों पर अदालत ने उन सुबूतों को मानने से इन्कार किया है।
मक्का मस्जिद धमाके में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद एनआइए के अधिकारियों ने सधी प्रतिक्रिया दी है। एनआइए का कहना है कि अदालत के फैसले की प्रति मिलने और उस पर कानूनी विचार-विमर्श के बाद ही इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील का निर्णय लिया जाएगा। एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम हाईकोर्ट में अपील की संभावना को नकार नहीं रहे हैं। लेकिन अदालत के फैसले की प्रति मिले बिना इस पर निर्णय नहीं लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है। फैसले की प्रति मिलने के बाद कानूनी विशेषज्ञों से इस पर राय ली जाएगी। यदि अदालत के फैसले में कोई कमी नजर आई, तो हम निश्चित रूप से हाईकोर्ट में अपील करेंगे। वैसे उन्होंने मक्का मस्जिद धमाके की जांच के बारे में कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया। उनका कहना था कि जांच के दौरान हमें जो भी सुबूत मिले, उन्हें अदालत के सामने पेश कर दिया गया। अब देखना यह है कि किन आधारों पर अदालत ने उन सुबूतों को मानने से इन्कार किया है।
बम धमाके में 9 लोगों की हुई थी मौत
आपको बता दें कि 16 अप्रैल को मक्का मस्जिद विस्फोट केस में हैदराबाद के नामपल्ली की कोर्ट ने असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने यह फैसला एनआईए द्वारा पेश किए गए सबूतों के आधार पर दिया। इस बम विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हो गए थे। इस मामले में 10 आरोपी थे जिनमें से एक की मौत हो गई थी। बाद में 5 लोगों के खिलाफ केस चलता रहा जिनमें असीमानंद भी शामिल थे। इस केस की सुनवाई के दौरान 160 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। एनआईए ने 2011 में इस केस की जांच अपने हाथ में ली थी।
आपको बता दें कि 16 अप्रैल को मक्का मस्जिद विस्फोट केस में हैदराबाद के नामपल्ली की कोर्ट ने असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने यह फैसला एनआईए द्वारा पेश किए गए सबूतों के आधार पर दिया। इस बम विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हो गए थे। इस मामले में 10 आरोपी थे जिनमें से एक की मौत हो गई थी। बाद में 5 लोगों के खिलाफ केस चलता रहा जिनमें असीमानंद भी शामिल थे। इस केस की सुनवाई के दौरान 160 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। एनआईए ने 2011 में इस केस की जांच अपने हाथ में ली थी।