दहशत के साथ कोर्ट में बैठ रहे हैं जज, वकील दे रहे गालियां!
Published: Sep 22, 2015 12:00:00 pm
मद्रास हाइकोर्ट में तामिल को कोर्ट की आधिकारिक भाषा बनाने की मांग को लेकर वकील और उनके परिजन कोर्ट के अंदर जाकर नारेबााजी की
नई दिल्ली। मद्रास हाइकोर्ट में तामिल को कोर्ट की आधिकारिक भाषा बनाने की मांग को लेकर वकील और उनके परिजन कोर्ट के अंदर जाकर नारेबााजी कर रहे हैं और जजों पर अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। इस कारण कोर्ट की कार्रवाई बंद करनी पड़ रही है और जजों में दहशत का माहौल बना हुआ है। भारत के चीफ जसिटस एचएल दत्तू ने एक ट्विट में कहा कि मद्रास हाइकोर्ट में अधिवताओं के एकवर्ग की अराजकता के कारण जज कोर्ट में दहशत के साथ बैठ रहे हैं।
वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने मामले में खेद व्यक्त करते हुए बताया कि अधिवताओं ने नारे लगाते हुए कोर्ट के गलियारे में मार्च किया। अपने परिवार के सदस्यों को कोर्ट में लाकर हंगामा किया, जजों को गालियां दी और उनके खिलाफ फालतू शिकायत दर्ज कराई। जसिटस दत्तू की बेंच के जस्टिस अमिताव रॉय ने कहा कि मैंने चीफ जस्टिस संजय किशन कौल से एक लंबी बात की थी, लेकिन मैं कोई कमेंट देता हूं तो वो काउंटर प्रोडक्टिव होगा। उन्होंने कहा कि हमें मामले को देखते हुए कोई भी कदम उठाने से पहले इंतजार करना होगा।
वेणुगोपाल ने कहा कि वकीलों का जजों के चेम्बर में घुसकर उनके खिलाफ शिकायतें दाखिल करने से स्थिती विकट होती जा रही है। उन्होंने कहा कि इस समय हमें जजों का साथ देना चाहिए और सीजेआई से कार्रवाई के लिए अपील करनी चाहिए। जस्टिस दत्तू ने कहा कि मद्रास हाइकोर्ट में वकील कोर्ट में घुसकरलगातार तामिल को कोर्ट की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए नारे लगाते हैं। क्या चीफ जसिटस ये कर सकता है?
दत्तू ने कहा कि वहां दहशत और भीड़ के कारण जजों को कोर्ट में जाने में भारी समस्या हो रही है। यह आश्चर्यजनक है कि मद्रास हाइकोर्ट के वकीलों को पहले एक अच्छी परंपरा के लिए जाना जाता था। नए वकीलों को हमारी सलाह है कि वे अपने वरिष्ठ और अनुभवी तामिल वकीलों की कोर्ट में की गई बहसों को सुनें जिससे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि जजों को स्टेट बार कौंसिल और बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने भी बिना किसी सहारे असहाय छोड़ दिया गया है। यहां वकीलों की तीन ताकतवर संस्थाएं हैं, लेकिन उन्होंने इस विषय पर एक शब्द भी नहीं कहा। मैं इन संसथाओं से पूछना चाहता हूं वे क्या कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि हाइकोर्ट में ऐसा हो सकता है। ये इतिहास में पहली बार हुआ है।