‘बच्चे अभी भी राजनीतिक प्राथमिकता में शामिल नहीं’
नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि राज्यसभा में ट्रैफिकिंग विधेयक पारित नहीं हो पाना इस बात को प्रमाणित करता है कि बच्चे अभी भी राजनीतिक प्राथमिकता में शामिल नहीं हैं। सत्यार्थी ने कहा कि भारत का राजनीतिक वर्ग एक बार फिर उन लाखों बच्चियों और बच्चों को सुरक्षित करने में विफल साबित हुआ, जिनको जानवरों से भी कम कीमत पर खरीदा और बेचा जाता है। उन्होंने कहा कि ट्रैफिकिंग (र्दुव्यापार) के पीड़ित ये बच्चे इस बार राज्यसभा में विधेयक के पारित होने की आस लगाए बैठे थे, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। राज्यसभा में ट्रैफिकिंग विधेयक पारित न होना, इस बात को प्रमाणित करता है कि बच्चे अभी भी राजनीतिक प्राथमिकता में शामिल नहीं हैं।
‘बयानबाजी और जुमलेबाजी से नहीं मिलेगा न्याय’
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि महज नारेबाजी, बयानबाजी और जुमलेबाजी कभी भी हमको न्याय की डगर तक नहीं पहुंचा सकती और न ही यह सामाजिक बदलाव में सहायक हो सकती है। पिछले कुछ दिनों में हर किसी ने यह देख लिया है कि किस तरह से संसदरूपी लोकतंत्र के मंदिर का उपयोग राजनीतिक और चुनावी लाभ प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। उसको देखते हुए यही कहा जा सकता है कि हमारे चुने हुए प्रतिनिधि उन बड़े सरोकारों के प्रति कतई चिंतित नहीं हैं जो मासूम और बेदाग बचपन को लील रहा है।