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मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक कलमने का गांव बेंगलुरू से 120 किलोमीटर दूर है। वे अपने जीवन में कभी स्कूल नहीं गए। उन्होंने अपने पूरे जीवन में केवल भेड़ चराई है। इन्हीं भेड़ों के दमपर उन्होंने 16 तालाब भी बनाए हैं। इन तालाब को बनवाने के लिए उन्होंने 10 लाख से अधिक रूपए खर्च कर दिए हैं।
मीडिया से बात करते हुए कलमने ने बताया कि इन तालाबों को बनवाने में उनके बेटे ने उनकी मदद की है। उन्होंने बताया कि इसे बनवाने के लिए ये पैसा अपनी कई भेड़ों को बेचकर भी इकट्ठा किया है।
कलमने बताते हैं कि उन्हें पता चल जाता है कि धरती में नमी किधर है। ये कला अपने पिता से सिखी है। उन्होंने आगे बताया कि पहले गांव के लोग मुझे पागल कहते थे। लोग मेरा मजाक उड़ाते थे। लेकिन मुझे पर्यावरण से बहुत लगाव हैं और यही वजह है मैं लगातार तालाब बनाने में लगा रहा है।
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गांव के लोगों के मुताबिक कलमाने को पॉन्ड मैन भी कहा जाता है। वे आज एक लोकल सेलेब्रिटी बन चुके हैं। उन्होंने ज्यादातर तालाब फावड़े और मिट्टी खुरपने वाली कुदाल से खोदा है। हालांकि जब उनके पास पैसे होते तो वे किराए पर खुदाई मशीन ले आते और इनसे तालाब को और बेहतर बनाते।
एक समाचार चैनल से बात करते हुए कलमाने ने बताया कि इन तालाबों को खोदने का मकसद गांव में पानी की कमी की समस्या को दूर करना था। ये सभी तालाब साइंटिफिक तरीके से बनाए गए हैं, जो भीषण गर्मियों में भी नहीं सूखेंगे।
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बता दें कर्नाटक सरकार कलमाने से खुश होकर उन्हें 50 लाख रूपयों का फंड भी दिया है। देश के PM नरेर्द मोदी ने भी मन के बात में इनका जिक्र किया था। PM ने कलमाने की तारीफ करते हुए कहा था कि वे भले ही एक साधारण किसान हों लेकिन वे एक असाधारण व्यक्तित्व के धनी हैं।