क्या है अनुच्छेद 35ए?
संविधान में अनुच्छेद 35ए 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक एग्जीक्यूटिव आदेश के जरिए जोड़ा था। इसके प्रभाव में आते ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के स्थाई नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार मिल गया। इससे प्रावधान किया गया कि 14 मई 1954 को जो जम्मू-कश्मीर का नागरिक हो, वही स्थाई नागरिक होगा। इसके बाद 26 जनवरी 1957 को जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू हुआ। इसके साथ ही यह जोड़ दिया गया कि 14 मई 1954 को दस साल से जम्मू-कश्मीर का निवासी हो और उसने राज्य में कोई स्थाई संपत्ति हासिल की हो, वही स्थाई निवासी है। स्थाई निवासी लब्ज़ पर इतना जोर इसलिए दिया गया कि वही जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद सकता है और राज्य सरकार की नौकरी कर सकता है। माना यह भी जाता है कि इस अनुच्छेद ने उस राज्य विषय यानी स्टेट सब्जेक्ट लॉ का स्थान ले लिया, जो 1927 में राज्य के महाराजा ने लागू किया था।
संविधान में अनुच्छेद 35ए 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक एग्जीक्यूटिव आदेश के जरिए जोड़ा था। इसके प्रभाव में आते ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के स्थाई नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार मिल गया। इससे प्रावधान किया गया कि 14 मई 1954 को जो जम्मू-कश्मीर का नागरिक हो, वही स्थाई नागरिक होगा। इसके बाद 26 जनवरी 1957 को जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू हुआ। इसके साथ ही यह जोड़ दिया गया कि 14 मई 1954 को दस साल से जम्मू-कश्मीर का निवासी हो और उसने राज्य में कोई स्थाई संपत्ति हासिल की हो, वही स्थाई निवासी है। स्थाई निवासी लब्ज़ पर इतना जोर इसलिए दिया गया कि वही जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद सकता है और राज्य सरकार की नौकरी कर सकता है। माना यह भी जाता है कि इस अनुच्छेद ने उस राज्य विषय यानी स्टेट सब्जेक्ट लॉ का स्थान ले लिया, जो 1927 में राज्य के महाराजा ने लागू किया था।
क्या है सरकार का रुख?
कांग्रेस या अन्य विपक्षी दल तो अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के कतई पक्ष में नहीं हैं। रही बात भारतीय जनता पार्टी की, तो भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा 370 के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी। वे 1953 में भारत प्रशासित कश्मीर के दौरे पर गए थे। वहां तब ये क़ानून लागू था कि भारतीय नागरिक जम्मू कश्मीर में नहीं बस सकते। साथ ही, वहां उन्हें अपने साथ पहचान पत्र रखना भी आवश्यक था। इसकी मुखालफत करते हुए उन्होंने भूख हड़ताल की। वे जम्मू-कश्मीर जाकर अपनी लड़ाई जारी रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें वहां घुसने नहीं दिया गया। वे गिरफ्तार कर लिए गए थे। 23 जून 1953 को हिरासत के दौरान उनकी मौत हो गई। बाद में कश्मीर में भारतीय नागरिकों के पहचान पत्र वाला प्रावधान रद्द कर दिया गया। इसी लाइन पर भारतीय जनता पार्टी अनुच्छेद 370 को हटाने की पक्षधर रही।
कांग्रेस या अन्य विपक्षी दल तो अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के कतई पक्ष में नहीं हैं। रही बात भारतीय जनता पार्टी की, तो भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा 370 के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी। वे 1953 में भारत प्रशासित कश्मीर के दौरे पर गए थे। वहां तब ये क़ानून लागू था कि भारतीय नागरिक जम्मू कश्मीर में नहीं बस सकते। साथ ही, वहां उन्हें अपने साथ पहचान पत्र रखना भी आवश्यक था। इसकी मुखालफत करते हुए उन्होंने भूख हड़ताल की। वे जम्मू-कश्मीर जाकर अपनी लड़ाई जारी रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें वहां घुसने नहीं दिया गया। वे गिरफ्तार कर लिए गए थे। 23 जून 1953 को हिरासत के दौरान उनकी मौत हो गई। बाद में कश्मीर में भारतीय नागरिकों के पहचान पत्र वाला प्रावधान रद्द कर दिया गया। इसी लाइन पर भारतीय जनता पार्टी अनुच्छेद 370 को हटाने की पक्षधर रही।