‘पत्रकार और जनता के बीच दर्द का रिश्ता होना चाहिए’ उन्होंने कहा, ‘कई मीडिया हाउस सरकार से समझौते के लिए तैयार हैं। ऐसे में जो अखबार सवाल उठाएगा वह अकेला पड़ जाएगा। अब मीडिया के पास आजादी की तरह सपना नहीं। उनके सामने कोई लक्ष्य नहीं है। पत्रकार और जनता के बीच दर्द का रिश्ता होना चाहिए। लोकतंत्र के लिए कलम का सिपाही कहां मिलेगा।’ गुलाब कोठारी ने थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत को जताया भरोसा, ‘सेना को कभी लगे कि उन्हें पत्रिका को किसी चीज में सहभागी बनाना है, तो पत्रिका हमेशा तैयार है।’
‘राजस्थान पत्रिका ने 62 साल में कभी हार नहीं मानी’
उन्होंने कहा, ‘मीडिया में संवेदना नहीं तो सच्ची पत्रकारिता नहीं होती। शिक्षा पद्धति में संवेदना बहुत जरूरी है। आज की शिक्षा में संवेदना नहीं है। पत्रकारिता में दर्द का रिश्ता खत्म हो रहा है। अब संकल्प कहां? पत्रकारिता कैसे बचेगी? मीडिया मालिक भी समझौते कर रहे हैं। जीवन के हर पहलू में चुनौतियां खड़ी हैं। देश के विकास में हमारी भूमिका होनी चाहिए। राजस्थान पत्रिका ने 62 साल में कभी हार नहीं मानी। कोई हमें डरा नहीं पाया। हम कभी डरेंगे भी नहीं।
‘विश्वसनीयता ही पत्रिका की शक्ति है’ ‘पुरस्कार पाने वाले पत्रकारों का मैं स्वागत करता हूं। इनका कार्य स्तुत्य है। इनसे हमें सीखना चाहिए कि खुद को बीज की तरह बनाकर समाज के लिए वृक्ष बनाया। वाल्तेयर के शब्द पर हम आज भी चलते हैं- या एशु सुप्तेषु जागर्ति। विश्वसनीयता ही पत्रिका की शक्ति है। हमारी खबरों को सच माना जाता है। पत्रिका के अभियान के बाद राजस्थान सरकार को वापस लेना पड़ा काला कानून। हमनें अभियान चलाया ‘जब तक काला, तब तक ताला।’ ‘आज मीडिया जनहित की जगह सिर्फ मनोरंजन की बात करने लगा है। पत्रिका के लिए जनहित ही सबसे प्रमुख है। पत्रिका परिवार का हर पत्रकार स्वयं में पत्रिका है। पत्रकारिता के सामने बहुत बड़ी चुनौती है। उस पर खरा उतरना होगा। पत्रिका के पास विश्वसनीयता की शक्ति है, हमारी खबरों को अदालतें रिट मान लेती हैं।’