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सबरीमला मंदिर में रविवार को उमड़े श्रद्धालु, तड़के तीन बजे खुला गर्भगृह

locationनई दिल्लीPublished: Nov 17, 2019 06:46:15 pm

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

दो महीने तक चलेगी वार्षिक तीर्थ यात्रा
देवस्वओम बोर्ड ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए की व्यापक व्यवस्था
शनिवार को मंदिर से 10 महिलाओं को लौटाया गया

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फाइल फोटो

केरल में सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में दर्शनों के लिए रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा ‘मंडल-मकरविलक्कू’ चल रही है। आज उसका दूसरा दिन था। यह यात्रा दो महीने तक चलेगी। मुख्य पुजारी एके सुधीर नम्बूदरी ने मंदिर के गर्भगृह को तड़के तीन बजे खोला और विशेष पूजा-अर्चना-‘नेय्याभिषेकम’ और ‘महागणपति होमम’ (भगवान गणेश की पूजा) की। इसके बाद हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की।
शनिवार को कड़ी सुरक्षा में खोले गए कपाट

शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर के कपाट खोले गए थे। आज पहले दिन कड़ी सुरक्षा के बीच हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। मलयालम महीने ‘वृश्चिकओम’ के पहले शुभ दिन जब मंदिर खोला गया, तब देवस्वओम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन, त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष एन वासु, टीडीबी के सदस्य एन विजयकुमार और केएस रवि और देवस्वओम आयुक्त एम हर्षन सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक व्यवस्था

राज्य में मंदिरों का प्रबंधन करने वाले देवस्वओम बोर्ड की ओर से श्रद्धालुओं को सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है। इसे सुनिश्चित करने के लिए देवस्वओम मंत्री ने रविवार को सन्निधानम अतिथिगृह में सभी विभागों के अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक भी बुलाई है। पुलिसकर्मियों की पहली टुकड़ी ने शनिवार को सुरक्षा की कमान संभाल ली थी।
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आंदोलन का अखाड़ा नहीं मंदिर

बता दें, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को प्रवेश और अन्य धर्म से जुड़े मामलों को वृहद पीठ को भेज दिया है। पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की ओर से सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने और राज्य की वाम मोर्चा सरकार की ओर से इसका अनुपालन करने की प्रतिबद्धता जताए जाने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए थे।
हालांकि, इस साल सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने संबंधी अपने फैसले पर रोक नहीं लगाई। लेकिन केरल सरकार ने इस बार कहा कि मंदिर आंदोलन का अखाड़ा नहीं है और वह उन महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं करेगी जो प्रचार के लिए आएंगी।
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पहले दिन 10 महिलाओं को वापस लौटाया

पुलिस के अनुसार- पहले दिन आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से आए 30 लोगों के समूह में शामिल 10 महिलाओं को मंदिर से पांच किलोमीटर दूर पम्पा से ही वापस भेज दिया गया था। इनकी उम्र पारंपरिक रूप से प्रतिबंधित आयु सीमा 10 से 50 साल के बीच पाई गई थी। पुलिस के मुताबिक पम्पा आधार शिविर के पास विजयवाड़ा से आए समूह में शामिल लोगों के पहचान पत्र की जांच की गई और प्रतिबंधित आयु सीमा में होने की वजह से सबरीमला में मौजूदा स्थिति की जानकारी देकर 10 युवा महिलाओं को वापस भेज दिया गया।
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