शनिवार को कड़ी सुरक्षा में खोले गए कपाट शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर के कपाट खोले गए थे। आज पहले दिन कड़ी सुरक्षा के बीच हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। मलयालम महीने ‘वृश्चिकओम’ के पहले शुभ दिन जब मंदिर खोला गया, तब देवस्वओम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन, त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष एन वासु, टीडीबी के सदस्य एन विजयकुमार और केएस रवि और देवस्वओम आयुक्त एम हर्षन सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्री बोले, पर्यावरण बचाने के लिए किया जाएगा रेल नेटवर्क का विद्युतीकरण श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक व्यवस्था राज्य में मंदिरों का प्रबंधन करने वाले देवस्वओम बोर्ड की ओर से श्रद्धालुओं को सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है। इसे सुनिश्चित करने के लिए देवस्वओम मंत्री ने रविवार को सन्निधानम अतिथिगृह में सभी विभागों के अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक भी बुलाई है। पुलिसकर्मियों की पहली टुकड़ी ने शनिवार को सुरक्षा की कमान संभाल ली थी।
निर्भया के माता-पिता की याचिका स्वीकार, फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो फांसी पर सुनवाई आंदोलन का अखाड़ा नहीं मंदिर बता दें, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को प्रवेश और अन्य धर्म से जुड़े मामलों को वृहद पीठ को भेज दिया है। पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की ओर से सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने और राज्य की वाम मोर्चा सरकार की ओर से इसका अनुपालन करने की प्रतिबद्धता जताए जाने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए थे।
हालांकि, इस साल सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने संबंधी अपने फैसले पर रोक नहीं लगाई। लेकिन केरल सरकार ने इस बार कहा कि मंदिर आंदोलन का अखाड़ा नहीं है और वह उन महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं करेगी जो प्रचार के लिए आएंगी।
कश्मीर में रेल सेवा की शुरुआत, पिछले तीन महीने से बंद थीं सेवाएं, परीक्षण पूरा पहले दिन 10 महिलाओं को वापस लौटाया पुलिस के अनुसार- पहले दिन आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से आए 30 लोगों के समूह में शामिल 10 महिलाओं को मंदिर से पांच किलोमीटर दूर पम्पा से ही वापस भेज दिया गया था। इनकी उम्र पारंपरिक रूप से प्रतिबंधित आयु सीमा 10 से 50 साल के बीच पाई गई थी। पुलिस के मुताबिक पम्पा आधार शिविर के पास विजयवाड़ा से आए समूह में शामिल लोगों के पहचान पत्र की जांच की गई और प्रतिबंधित आयु सीमा में होने की वजह से सबरीमला में मौजूदा स्थिति की जानकारी देकर 10 युवा महिलाओं को वापस भेज दिया गया।