scriptनोटबंदी: 70 साल के इस बुजुर्ग ने विरोध में 23 हजार के नोट जलाए, आधा सिर मुंडवाकर ली ये प्रतिज्ञा | Kerala fast food vendor, 70, shaves off half head, vows not to grow hair until Modi is dethroned | Patrika News
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नोटबंदी: 70 साल के इस बुजुर्ग ने विरोध में 23 हजार के नोट जलाए, आधा सिर मुंडवाकर ली ये प्रतिज्ञा

एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के फैसले
को भारी समर्थन मिल रहा है वहीं बहुत से लोग अलग अलग तरीकों से अपना विरोध
भी जता रहे हैं..

Nov 30, 2016 / 12:32 pm

राहुल

Kerala fast food vendor, 70, shaves off half head

Kerala fast food vendor, 70, shaves off half head

एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के फैसले को भारी समर्थन मिल रहा है वहीं बहुत से लोग अलग अलग तरीकों से अपना विरोध भी जता रहे हैं। केरल के एक शख्स ने नोटबंदी के फैसले के विरोध में अपना आधा सिर मुंडवा लिया है और अपनी बचत के 23 हजार रुपए जला डाले। उसका कहना है कि वो मोदी के सत्ता से हटने तक ऐसे ही रहेगा। इस शख्स का नाम है याहिया। याहिया 70 साल के हैं। इन्हें याही कक्का भी कहा जाता है। केरल के कोल्लम में एक छोटा सा होटल और चाय की दुकान चलाते हैं। केरल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर अशरफ ने फेसबुक पर याहिया की कहानी शेयर की है।

मेरा नाम याहिया है। लोग मुझे याही भी कहते हैं। मैं 70 साल का बूढ़ा हूं। कोल्लम जिले के कडक्कल मुक्कुन्नम का रहने वाला हूं। जब मुझे लगा कि मैं नारियल के पेड़ों में चढ़कर और खेतों में काम करके अपनी लड़कियों की शादी नहीं कर पाऊंगा तो मैं खाड़ी की तरफ चला गया लेकिन एक गरीब,अनपढ़ आदमी के लिए वहां भी कोई जगह नहीं थी,जो भी थोड़ा बहुत मैंने कमाया था उसे लेकर मैं वापस आ गया। मैंने कडक्कल को-ऑपरेटिव बैंक से कर्ज लिया और अपनी बेटी की शादी की।

मैंने खुद के लिए और परिवार के लिए छोटा से फूड प्वाइंट खोला। पूरा होटल मैं अकेले संभालता हूं। खाना बनाने से लेकर उन्हें परोसन और फिर साफ सफाई तक,इसलिए मैं हमेशा नाइटी पहने रहता हूं। लोगों को मेरे हाथ का बीफ और चिकन फ्राई खाना पसंद है। मैं सुबह 5 बजे से आधी रात तक होटल चलाता हूं। अगर मैं ये होटल गुजरात या मध्य प्रदेश में चलाता तो मुझे टांग दिया जाता। अचानक एक दिन प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा कर दी। मेरे पास कैश में 23 हजार रुपए थे। मैंने उन्हें एक्सचेंज कराने की तमाम कीशिशें की। दो दिनों तक लाइन में खड़ा रहा।


दूसरे दिन मेरा शुगर लेवल गिर गया और मैं बेहोश हो गया। किसी ने मुझे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। लोन अकाउंट के अलावा मेरे पास कोई बैंक अकाउंट नहीं है। को-ऑपरेटिव बैंक में सारे ट्रांजेक्शन रोक दिए गए थे। मुझे लगा अब मैं इन्हें कहीं जमा नहीं कर पाऊंगा। मुझे अपनी मेहनत की कमाई के पैसे बैंक में जमा कराने के लिए और कितने दिन लाइन में लगना होगा। जब मैं अस्पताल से घर गया तो मैंने चूल्हे में अपने सारे पैसे जला दिए। मैं नाईं की दुकान में गया और अपना आधा सिर मुंडवा लिया। मैं इन्हें फिर से तभी रखूंगा जब मोदी सत्ता से बाहर हो जाएंगे। ये मेरी कसम और विरोध दोनों हैं।

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