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2018 की ‘महात्रासदी’ रही केरल की भीषण बाढ़, 350 से ज्यादा लोगों ने गंवाई थी जान, तीन लाख हुए बेघर

Published: Dec 24, 2018 09:20:03 pm

Submitted by:

Kapil Tiwari

इस प्राकृतिक आपदा में तीन लाख के करीब लोग बेघर हो गए थे।

Kerala Floods

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नई दिल्ली। साल 2018 अपने अंतिम पड़ाव पर है। कुछ ही दिनों में 2018 को अलविदा कर दुनिया 2019 में कदम रख देगी। प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से साल 2018 भारत के लिए बहुत ही बुरा रहा। इस साल देश के अलग-अलग हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदाओं में 1700 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इनमें सबसे भयानक और सदी की महात्रासदी रही केरल की बाढ़, जिसमें 350 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा 3 लाख के करीब लोग बेघर हो गए थे।

100 साल बाद भयानक हालात पैदा हुए थे केरल में

राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, केरल की भीषण बाढ़ की वजह से राज्य की 1/6 जनसंख्या सीधे तौर पर प्रभावित हुई थी। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बताया था कि केरल ने पिछले 100 साल के अंदर ऐसी तबाही नहीं देखी है। वहीं केंद्र सरकार ने भी केरल की बाढ़ को स्तर तीन की आपदा घोषित किया था। भीषण बाढ़ की वजह से इडुक्की, वायनाड, त्रिवेंद्रम और पलक्कड ज़िले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। वहीं राज्य सरकार ने प्रभावित इलाकों में सभी स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी की घोषणा कर दी थी। बाढ़ की वजह से बिजली आपूर्ति, संचार प्रणाली और पेयजल आपूर्ति बहुत बड़े स्तर पर प्रभावित हुई थी। इसके अलावा रेल, हवाई और सड़क यातायात भी बाधित रहा था।

केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों ने भी की थी मदद

केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए दुनियाभर से मदद के हाथ आगे आए थे। भारत में ही राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार ने भी पीड़ितों के लिए राहत राशि का ऐलान किया था। देशभर से 102 सांसदों ने अपनी तरफ से राहत राशि जुटाकर 43.67 करोड़ रुपए केरल बाढ़ पीड़ितों के लिए राज्य सरकार को दिए थे। इसके अलावा पंजाब, कर्नाटक, ओडिशा के मुख्यमंत्रियों ने भी राज्य सरकार को राहत राशि दी थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अपने सभी सांसदों और विधायकों की एक महीने की सैलरी देने की घोषणा की थी।

खाड़ी देशों ने भी बढ़ाया था मदद का हाथ

केरल बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों से मदद के हाथ आगे आए थे। विशेषतौर पर खाड़ी देशों ने केरल की बहुत मदद की थी। खाड़ी देशों में कुवैत, क़तर, ओमान, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देशों ने राज्य सरकारों को राहत राशि भेजी थी। ऐसा इसलिए भी हुआ था, क्योंकि इन देशों में काम करने वाले ज्यादातर लोग केरल के होते हैं।

क्यों केरल में पैदा हुए थे भयावह हालात?

खबरों की मानें तो केरल में इस विनाशकारी बाढ़ की भविष्यवाणी करीब एक महीने पहले ही कर दी गई थी। एक सरकारी रिपोर्ट ने ये चेतावनी दे दी थी कि केरल जल संसाधनों के प्रबंधन के मामले में दक्षिण भारतीय राज्यों में सबसे ख़राब स्तर का राज्य रहेगा। इसके अलावा मूसलाधारा बारिश इस भयानक स्थिति की सबसे बड़ी वजह रही। नतीजा ये रहा कि राज्य के इतिहास में पहली बार 42 में से 35 बांधों को खोल दिया गया। 26 साल में पहली बार इदुक्की बांध के सभी पांचों दरवाजों को खोल दिया गया था।

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