हिंदू संगठनों और श्रद्धालुओं की ओर से बुधवार को पद्मनाभा स्वामी मंदिर में प्रदर्शन के बाद महिलाओं को पहनावे की छूट को वापस ले लिया गया।
तिरूवंतपुरम। हिंदू संगठनों और श्रद्धालुओं की ओर से बुधवार को पद्मनाभा स्वामी मंदिर में प्रदर्शन के बाद महिलाओं को पहनावे की छूट को वापस ले लिया गया। गौरतलब है कि मंदिर समिति ने मंगलवार को महिला श्रद्धालुओं को पहनावे में छूट देते हुए उन्हें मंदिर में सलवार कमीज और चूड़ीदार पहन कर पूजा करने की इजाजत दे दी थी।
मंदिर में महिलाओं को मुंडू पहनकर जाना पड़ता था
पद्मनाभा मंदिर में अब तक सलवार और चूड़ीदार पहन कर आई हुई महिला श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश करने से पहले ऊपर से धोती डाल कर जाना पड़ता है। स्थानीय भाषा में इस धोती को मुंडू कहा जाता है। मंदिर में मुंडू ओढऩे की प्रथा को मंदिर समिति की ओर से समाप्त किये जाने का विभिन्न हिंदू संगठनों ने विरोध किया। ये ड्रेस कोड हाइकोर्ट के आदेश के बाद लागू किया गया था। हाइकोर्ट में एक महिला श्रद्धालु रिया राज ने याचिका दर्ज की थी उसके बाद मंदिर ने इस ड्रेस कोड को बदला था।
सलवार कमीज को बाह्मण सभा ने बताया पश्चिमी सभ्यता
केरल के ब्राह्मण सभा ने सलवार कमीज और चूड़ीदार को पश्चिमी सभ्यता का पहनावा बताया और मंदिर समिति के इस निर्णय का विरोध किया। जबकि हिंदू एक्य वेदी की अध्यक्ष शशिकला ने मंदिर समिति के कार्यकारी अधिकारी के इस निर्णय को हिंदू धर्म की परंपरा के खिलाफ बताया। गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में एक महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। कोर्ट का आदेश मानते हुए मंदिर समिति के कार्यकारी अधिकारी ने मंदिर में पूजा के दौरान महिलाओं को पारंपरिक ड्रेस कोड में छूट देने की घोषणा की थी।