देश की उच्च शिक्षा में शीर्ष स्थान रखने वाले दो संस्थानों आईआईटी और आईआईएम को भी शिक्षकों की कमी से जूझना पड़ रहा है।
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नई दिल्ली। देश की उच्च शिक्षा में शीर्ष स्थान रखने वाले दो संस्थानों आईआईटी और आईआईएम को भी शिक्षकों की कमी से जूझना पड़ रहा है। आईआईएम में जहां शिक्षकों के 26 फीसदी पद खाली पड़े हैं, वहीं आईआईएम में 35 फीसदी शिक्षकों की कमी है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मिले आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। हालांकि, सरकार शिक्षकों की कमी के चलते शिक्षा के स्तर पर किसी भी तरह के असर से इनकार करती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, आईआईटी और आईआईएम इंडस्ट्री के विशेषज्ञों, रिसर्च स्कॉलर्स और गेस्ट फैकल्टीज की सेवाएं लेते रहते हैं, इसलिए शिक्षकों की कमी से पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ता है।
चार आईआईएम निदेशकों के पद खाली
तमाम दावों के बीच, चार भारतीय प्रबंधन संस्थानों आईआईएम कोझिकोड, आईआईएम अमृतसर, आईआईएम बोधगया
आईआईएम जम्मू में निदेशकों के पद अब भी खाली हैं। आईआईएम कोझिकोड में निदेशक का पद तीन साल से अधिक समय से खाली पड़ा है।
आईआईटी में 8025 पद है स्वीकृत
देश में कुल 23 आईआईटी में शिक्षकों के 8025 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 19 आईआईटी में 3132 शिक्षकों के पद खाली हैं। जबकि देश के 13 आईआईएम में शिक्षकों के कुल 908 स्वीकृत पद हैं। इसमें से 227 पद खाली पड़े हैं। आईआईएम इंदौर में 57 और अहमदाबाद में 27 में शिक्षकों की कमी है।
10% एजुकेशन बजट होता है खर्च
आईआईटी और आईआईएम में केंद्र के कुल एजुकेशन बजट का 10 फीसदी इन एलीट संस्थानों पर खर्च किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2017-18 में आईआईटी के लिए केंद्र सरकार ने 7856 करोड़ रुपए, जबकि आईआईएम के लिए 1030 करोड़ रुपए आवंटित किया है।