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बता दें कि मोदी सरकार की महत्वकांक्षी बुलेट ट्रेन योजना लेकर भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया और पर्यावरण को लेकर पहले ही चिंता जतायी जा रही है। इसे लेकर बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से प्रभावित किसानों और पर्यावरणविदों ने जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (JICA) के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इस दौरान किसानों और पर्यावरणविदों ने जेआईसीए के अधिकारियों को जब बताया कि बुलेट ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण में तय नियमों का पालन नहीं किया गया तो ये सुनकर उनके होश उठ गए। अधिकृत जमीन का नहीं दिया उचित मुआवजा जेआईसीए के अधिकारियों से मुलाकात करने वाले किसान संगठन ‘खेदुत समाज गुजरात’ के अध्यक्ष जयेश पटेल ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हमने जापानी अधिकारियों को बुलेट ट्रेन से जुड़े सभी दस्तावेज दिखाए। उन्होंने कहा कि हमने अधिकारियों को बताया कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से 2200 किसान और गुजरात के 8 जिलों के 192 गांव प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि गुजरात सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है। राज्य सरकार ने बुलेट ट्रेन के लिए किसानों से ली गई जमीन का इतना कम मुआवजा देने की घोषणा की है कि उस पैसे से वे आसपास के इलाकों में अपने गुजारे के लिए खेती की जमीन भी नहीं खरीद सकते। बता दें कि जेआईसीए के अधिकारियों को जो भी दस्तावेज दिखाए गए उनमें इस प्रोजेक्ट से प्रभावित किसानों द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे भी शामिल थे।
सरकार के कदम से जापानी अधिकारियों ने जताई हैरानी जयेश पटेल ने कहा कि हमने उन्हें किसानों की गिरफ्तारी वाली तस्वीरें और न्यूजपेपर की कटिंग भी दिखाई। जेआईसीए के अधिकारियों ने इस बात से काफी हैरान दिखाई कि सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए प्रभावित किसानों से बातचीत नहीं की। साथ ही भूमि की नपायी के लिए सीधे अधिकारियों को भेज दिया। उन्होंने कहा कि जेआईसीए अधिकारियों इस बात से काफी हैरान है कि किसानों की सही स्थिति उन्हें नहीं बताई गई। यही नहीं सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए जो तस्वीर दिखायी वो इससे पूरी तरह से अलग है। खेदुत समाज गुजरात’ के अध्यक्ष ने बताया कि अधिकारियों ने हमें विश्वास दिलाया कि वह इस मुद्दे को जीसा की टॉप अधिकारियों के सामने उठाएंगे।
1434 हेक्टेयर जमीन का हुआ अधिग्रहण गौरतलब है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए 1434 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। इस जमीन पर 508 किलोमीटर लंबा हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनाया जाएगा। अधिग्रहित होने वाली कुल जमीन में से 1081 हेक्टेयर जमीन अकेले गुजरात से अधिग्रहित की जाएगी।
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