अभी सिर्फ अमरीका, रूस व चीन के पास ही यह तकनीक उपलब्ध है। अमरीकी वायुसेना साल 2023 तक इसके प्रोटोटाइप को एएफएसओसी एसी-130 गनशिप पर तैनात करने की तैयारी में है। 1 केवी गन का परीक्षण
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक डीआरडीओ ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में इस हथियार का सफल टेस्ट किया है। एक ट्रक पर तैनात 1 किलोवाट के लेजर सिस्टम से निशाना साधा गया।
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक डीआरडीओ ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में इस हथियार का सफल टेस्ट किया है। एक ट्रक पर तैनात 1 किलोवाट के लेजर सिस्टम से निशाना साधा गया।
2 केवी गन से 1 किमी दूर निशाने की तैयारी
डीआरडीओ की अगली तैयारी 2 किलोवाट के लेजर सिस्टम से 1 किमी दूर तक के निशाने पर है। फिलहाल डीआरडीओ के दो केंद्र इसपर काम कर रहे हैं। लेजर के स्रोत के रूप में काम करने वाली हर्ट ऑफ द सिस्टम जर्मनी से आयात किया गया है।
डीआरडीओ की अगली तैयारी 2 किलोवाट के लेजर सिस्टम से 1 किमी दूर तक के निशाने पर है। फिलहाल डीआरडीओ के दो केंद्र इसपर काम कर रहे हैं। लेजर के स्रोत के रूप में काम करने वाली हर्ट ऑफ द सिस्टम जर्मनी से आयात किया गया है।
बिना आवाज, प्रकाश से तेज
– इन हथियारों की मदद से प्रकाश की गति से पूरी ऐक्यूरेसी के साथ टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है।
– एक साथ कई टारगेट को मार गिराया जा सकता है।
– बिना आवाज और दुश्मन की जद में नहीं आने वाला हथियार।
– मिसाइल के मुकाबले लागत कम
– अगर पावर की सप्लाई बाधित नहीं हो तो इसे कितने भी समय तक इस्तेमाल हो सकता है।
– इन हथियारों की मदद से प्रकाश की गति से पूरी ऐक्यूरेसी के साथ टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है।
– एक साथ कई टारगेट को मार गिराया जा सकता है।
– बिना आवाज और दुश्मन की जद में नहीं आने वाला हथियार।
– मिसाइल के मुकाबले लागत कम
– अगर पावर की सप्लाई बाधित नहीं हो तो इसे कितने भी समय तक इस्तेमाल हो सकता है।
ये सब जद में
– मिसाइल और अन्य प्रोजेक्टाइल्स में यूज होने वाले पारंपरिक हथियार दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने के लिए केनेटिक/केमिकल एनर्जी का इस्तेमाल करते हैं।
– डीईडब्ल्यू टारगेट को निशाना बनाने के लिए कॉन्सनट्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक एनर्जी के बीम्स (प्रकाश की किरणों) का इस्तेमाल करता है।
– लेजर वेपन से मिसाइल गिराने में 500 किलोवॉट बीम की जरूरत।
– इससे कम पावर के लेजर से ड्रोन्स, व्हीकल्स और बोट्स इत्यादि को मार गिराया जा सकता है।
– मिसाइल और अन्य प्रोजेक्टाइल्स में यूज होने वाले पारंपरिक हथियार दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने के लिए केनेटिक/केमिकल एनर्जी का इस्तेमाल करते हैं।
– डीईडब्ल्यू टारगेट को निशाना बनाने के लिए कॉन्सनट्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक एनर्जी के बीम्स (प्रकाश की किरणों) का इस्तेमाल करता है।
– लेजर वेपन से मिसाइल गिराने में 500 किलोवॉट बीम की जरूरत।
– इससे कम पावर के लेजर से ड्रोन्स, व्हीकल्स और बोट्स इत्यादि को मार गिराया जा सकता है।