न्यायिक प्रक्रिया में देरी की वजह से देशभर में लोग मांग कर रहे थे कि दोषियों को तत्काल फांसी दी जाए। बता दें कि किसी भी अपराधी को फांसी देने की प्रक्रिया हमारे न्यायिक व्यवस्था में बहुत ही जटिल है।
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लिहाजा सालों साल तक रेप या अन्य मामलों में फांसी की सजा पाए लोग जेल में बंद रहते हैं और पीड़ित परिवार या पीड़ित न्याय की आस में इंतजार करते रहते हैं। यही कारण है कि भारत में रेप के मामले में आज से 15 साल पहले फांसी हुई थी।
2004 में हुई थी आखिरी फांसी
आपको बता दें कि रेप मामले में सैंकड़ों ऐसे केस कोर्ट में पेंडिंग है, जिनकी सुनवाई नहीं हो सकी है। आखिरी बार भारत में 2004 में फांसी हुई थी। कोलकाता के रहने वाले धनंजय चटर्जी पर आरोप था कि उन्होंने 14 साल की एक नाबालिग के साथ दरिंदगी कर उसकी हत्या कर दी।
इस मामले से पूरे देश में उबाल आ गया। कोर्ट में सुनवाई के बाद 14 अगस्त 2004 को कोलकाता के अलीपोर सेंट्रल जेल में उसे फांसी दे दी गई थी। सबसे बड़ी और इत्तेफाक की बात यह है कि उसी दिन उसका जन्मदिन भी था। बता दें कि 1991 के बाद पश्चिम बंगाल में यह पहली फांसी थी।
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गौरतलब है कि 2017 में देशभर में अलग-अलग मामलों में 109 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इनमें से 43 मामले यानी 39 फीसदी मामले दुष्कर्म से संबंधित है। जबकि इससे पहले 2016 में 24 लोगों को रेप मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है।
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