हिसार किले में तब्दील
हिसार कोर्ट का फैसला आने से पहले ही हरियाणा पुलिस ने हिसार शहर को किले में तब्दील कर दिया गया था। किसी भी संभावित बवाल, हिंसा और तोड़फोड़ जैसी घटनाओं से निपटने के लिए पुलिस ने सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं। हिसार जिले में धारा-144 लागू कर दी गई है। अदालत के चारों ओर तीन किलोमीटर का सुरक्षा घेरा बनाया गया है। इस सुरक्षा घेरे को भेदकर कोई भी बाहरी व्यक्ति अंदर प्रवेश नहीं कर सकेगा।
हिसार कोर्ट का फैसला आने से पहले ही हरियाणा पुलिस ने हिसार शहर को किले में तब्दील कर दिया गया था। किसी भी संभावित बवाल, हिंसा और तोड़फोड़ जैसी घटनाओं से निपटने के लिए पुलिस ने सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं। हिसार जिले में धारा-144 लागू कर दी गई है। अदालत के चारों ओर तीन किलोमीटर का सुरक्षा घेरा बनाया गया है। इस सुरक्षा घेरे को भेदकर कोई भी बाहरी व्यक्ति अंदर प्रवेश नहीं कर सकेगा।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, रामपाल पर हो रही सुनवाई का मामला 2014 का है। 18 नवंबर, 2014 को सतलोक आश्रम में हुए हंगामे की वजह से एक बच्चे और पांच महिलाओं की मौत हुई थी। इस केस में रामपाल और उनके 14 साथियों को आरोपी बनाया गया था। इसी मामले से जुड़े मुकदमा नंबर 429 और 430 में आज सजा सुनाई गई है।
दरअसल, रामपाल पर हो रही सुनवाई का मामला 2014 का है। 18 नवंबर, 2014 को सतलोक आश्रम में हुए हंगामे की वजह से एक बच्चे और पांच महिलाओं की मौत हुई थी। इस केस में रामपाल और उनके 14 साथियों को आरोपी बनाया गया था। इसी मामले से जुड़े मुकदमा नंबर 429 और 430 में आज सजा सुनाई गई है।
रामपाल के खिलाफ ये हैं आरोप
रामपाल के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज है। इसी मामले में वह चार से जेल में हैं। 2006 में रामपाल पर हत्या का केस दर्ज हुआ था। रामपाल ने स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच हुई हिंसक झड़प में एक शख्स की मौत हो गई थी। 2013 में एक बार फिर आर्य समाजियों और रामपाल के समर्थकों के बीच हुई झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई। इस घटना में करीब 100 लोग घायल हुए थे। इसके अलावा रामपाल पर पुलिस और कोर्ट के काम में बाधा पहुंचाने का भी आरोप है। चार साल पहले सतलोक आश्रम में हिंसा कराने का भी उनपर आरोप है। इन मुकदमों की सुनवाई हिसार की सेंट्रल जेल वन में बनाई गई स्पेशल कोर्ट में चल रही है।
रामपाल के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज है। इसी मामले में वह चार से जेल में हैं। 2006 में रामपाल पर हत्या का केस दर्ज हुआ था। रामपाल ने स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच हुई हिंसक झड़प में एक शख्स की मौत हो गई थी। 2013 में एक बार फिर आर्य समाजियों और रामपाल के समर्थकों के बीच हुई झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई। इस घटना में करीब 100 लोग घायल हुए थे। इसके अलावा रामपाल पर पुलिस और कोर्ट के काम में बाधा पहुंचाने का भी आरोप है। चार साल पहले सतलोक आश्रम में हिंसा कराने का भी उनपर आरोप है। इन मुकदमों की सुनवाई हिसार की सेंट्रल जेल वन में बनाई गई स्पेशल कोर्ट में चल रही है।