माधुरी को कोर्ट ने अपील के लिए दी जमानत
आपको बता दें कि मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ शर्मा ने सजा का ऐलान करते हुए माना कि माधुरी गुप्ता पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग में अति संवदेनशील पद पर थीं। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब आप किसी संवैधानिक पद पर होते हैं तो आपसे उम्मीद की जाती है कि आप आम नागरिको से अधिक जिम्मेदारी के साथ अपने काम को करेंगी, लेकिन आपने संवैधानिक पदों की मर्यादा का उल्लंघन किया है और देश की छवि को खराब किया है। बता दें कि अदालत ने माधुरी गुप्ता को इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए उन्हें जमानत दे दी है। अदालत ने माधुरी गुप्ता को 25 हजार रुपए का बॉंड और इतने ही रुपए की जमानत राशि भरने को कहा है। गौरतलब है कि अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए माधुरी गुप्ता को सरकारी गोपनीयता कानून (ओएसए) और भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत दोषी करार दिया गया था। हालांकि अदालत ने उन्हें सरकारी गोपनीयता कानून की सख्त धारा 3(1)(भाग-1) से दोषमुक्त करार दिया। बता दें कि इस धारा के तहत अधिकतम 14 वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान है।
भारत की पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता है आईएसआई की खुफिया एजेंट, अदालत से दोषी करार
माधुरी गुप्ता पर आरोप
आपको बता दें कि माधुरी गुप्ता पर पाकिस्तान के अधिकारियों को कुछ गोपनीय सूचना देने का आरोप है। बताया जा रहा है कि जब वे पाकिस्तान में भारत की राजनयिक थीं तब वह आईएसआई के दो अधिकारियों मुबशर राजा राणा और जमशेद के संपर्क में थीं। बता दें कि 2010 में जब आरोप पत्र दाखिल किया गया था उनके मुताबिक माधुरी गुप्ता और जमशेद के बीच संबंध थे और दोनों शादी करना चाहते थे। इसी मामले में 2012 में निचली अदालत ने सुनवाई करते हुए उन्हें दोषी करार दिया था हालांकि अगले ही दो दिनों में उन्हें जमानत मिल गई थी।
माधुरी का कबूलनामा
आपको बता दें कि जब पुलिस ने उनसे पूछताछ की थी तो माधुरी गुप्ता ने माना था कि उनके द्वारा पाकिस्तान की आईएसआई को भारत की अहम जानकारियां हाथ लगी थीं। माधुरी ने पुलिस को बताया था कि वहां पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उनका मजाक उड़ाते हैं और उनका अपमान करते हैं। इसी बीच आईएसआई एजेंट राणा ने उनसे हमदर्दी दिखाते हुए नजदीकियां बढ़ाना शुरु कर दी थी और बाद में प्यार का इजहार भी किया था।