scriptमैगी प्लांट के वर्कर चाय बेच कर खा पा रहे हैं दो वक्त की रोटी | Maggi workers selling tea and pulling rickshaw to meet their basic needs | Patrika News

मैगी प्लांट के वर्कर चाय बेच कर खा पा रहे हैं दो वक्त की रोटी

Published: Aug 24, 2015 10:31:00 am

मैगी पर बैन लगने के बाद प्लांट में काम करने वाले वर्कर रिक्शा चलाने, चाय बेचने और लेबर बनने पर हुए मजबूर

ban on maggi

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रूद्रापुर। मैगी पर बैन लगने के बाद रूद्रापुर में नेस्ले के प्लांट में काम करने वाले तकरीबन 1100 कॉन्ट्रेक्चुअल वर्कर्स अब रिक्शा चलाने, चाय बेचने या फिर बिल्डिंग लेबर के रूप में काम करने को मजबूर हैं। उत्तराखंड में मैगी पर बैन लगे करीब तीन महीने हो चुके हैं।

मजदूरी करने वाले अधिकतर लोग ऎसे हैं, जिनके लिए पहले नेस्ले में काम करना गर्व की बात थी। भले ही उनकी आमदनी कम थी, लेकिन नियमित रोजगार का साधन तो था। मिली जानकारी के अनुसार संयंत्र के 1,000 मजदूरों की रोजी-रोटी मैगी पर प्रतिबंध की वजह से छिन गई है। उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और मध्य प्रदेश आदि के ऎसे कई कर्मचारी हैं, जिनके पास अब नियमित आय का कोई साधन नहीं है और उन्हें मजदूर के रूप में काम कर अपना जीवन चलाना पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश के एक गांव के रहने वाले 43 वर्षीय राजेंद्र सिंह कहते हैं कि, “पहले मैं कम्पनी में काम करके अपने खर्च और घर भेजने भर को कमा लेता था। आज किराये पर रिक्शा लेकर चलाना पड़ रहा है। कमाई बहुत कम हो चुकी है। बहुत बड़ा धक्का लगा था उस दिन सबको।”

हालांकि इन लोगों में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले से उम्मीद जगी है, जिसने मैगी को क्लीन चिट दी गई है। इन्हें उम्मीद है कि संयंत्र में काम जल्द ही शुरू होगा।
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