गरुवार सुबह रेलवे अधिकारियों को सूचना मिली थी कि रेलवे ट्रैक पर दो बाघ शावकों के शव पड़े हुए हैं। उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी। अधिकारियों के अनुसार- ऐसा लग रहा है कि दोनों शावक एक दिन पहले किसी तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आए थे।
अधिकारियों ने बताया कि 14 अप्रैल 2013 को भी इसी ट्रैक पर इसी तरह का हादसा हुआ था। तब भी बाघ के दो शावक ट्रेन की चपेट में आ गए थे। हालांकि उस हादसे में एक शावक की मौत हो गई थी जबकि दूसरा अपंग हो गया था।
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि एक शावक का शरीर बुरी तरह कुचला गया है जबकि दूसरे के मुंह पर चोटें मिली हैं। दोनों शावक फीमेल थे। वन अधिकारी शावकों के शवों के पास बाघिन के न होने पर हैरानी जताई। उन्होंने बताया कि आम तौर पर शावकों को चोट लगने या मर जाने के बाद उनकी मां आसपास ही रहती है, लेकिन बाघिन आसपास नजर नहीं आई।
बता दें, इससे पहले चंदा फोर्ट गोंदिया के पास ही इसी साल 23 जून को एक तेंदुए की भी ट्रेन से टकराकर मौत हो गई थी। 13 जुलाई 2017 को भालू और उसके दो बच्चे यहां की ट्रेन की चपेट में आ गए थे।