अचानक कस्तूरबा को लेबर पेन होने लगा
दरअसल, उस समय गांधीजी साउथ अफ्रीका के नटाल प्रांत में रहते थे। यह घटना नटाल की राजधानी पीटरमारित्जबर्ग की थी। गांधीजी की पत्नी कस्तूरबा उस समय गर्भवती थीं। एक बार रात को अचानक कस्तूरबा को प्रसव पीड़ा होने लगी। महात्मा गांधी उस समय वहीं बैठे कुछ पढ़ रहे थे। जैसे ही गांधीजी को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने अपने बड़े बेटे हरिलाल को दाई को बुलाने भेजा, लेकिन इस बीच कस्तूरबा का दर्द असहनीय हो गया। बा का दर्द बढ़ता देख गांधीजी ने दाई का इंजतार न कर खुद प्रयास करना उचित समझा और अपने सबसे छोटे बेटे की डिलीवरी कराई।
‘महात्मा गांधी जी ने कहा था, मैं हिंदू हूं और राष्ट्रवादी हूं’
गांधीजी के सबसे छोटे बेटे देवदास गांधी थे
दरअसल, गांधीजी के सबसे छोटे बेटे कोई और नहीं देवदास गांधी थे, जो बड़े होकर देश के प्रमुख पत्रकारों में शुमार हुए। उनके एक बेटे राजमोहन गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय में साउथ एशियन और मिडिल ईस्टर्न स्टडीज के प्रोफेसर भी हैं, जबकि दूसरे बेटे गोपालकृष्ण गांधी सेवानिवृत आईएएस अधिकारी हैं। गांधीजी के तीसरे बेटे रामचंद्र गांधी भी देश के बड़े दार्शनिकों में से एक हैं। आपको बता दें कि गांधीजी जाने-अंजाने में दाई नहीं बने थे। दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन और अपनी वकालत की व्यस्तता से समय निकालकर गांधीजी दो घंटे के लिए एक चैरिटेबल हॉस्पिटल में फ्री सेवाएं देते थे। इसके साथ वह समय निकालकर नर्सिंग और डिलीवरी कैसे कराएं जैसे विषयों पर किताबें भी पढ़ते थे। इसी का नतीजा है कि उन्होंने बड़ी सरलता से अपने चौथे बेटे की खुद ही डिलीवरी करवाई थी।