गवाहों के बयानों पर सवाल
साल्वे ने इस मामले के गवाहों के बयानों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि न्याय के हित में कर्नल पुरोहित को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाना चाहिए, जबकि एनआईए ने उनके इस अनुरोध का पुरजोर विरोध किया। एनआईए की दलील थी कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जबकि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। अभियोजन एजेंसी ने कहा कि इस मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखा जाना चाहिए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
साल्वे ने इस मामले के गवाहों के बयानों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि न्याय के हित में कर्नल पुरोहित को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाना चाहिए, जबकि एनआईए ने उनके इस अनुरोध का पुरजोर विरोध किया। एनआईए की दलील थी कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जबकि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। अभियोजन एजेंसी ने कहा कि इस मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखा जाना चाहिए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को दी है चुनौती
कर्नल पुरोहित ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका निरस्त किए जाने को चुनौती दी है, जबकि धमाके के पीडि़तों में से एक के पिता निसार अहमद हाजी सैयद बिलाल ने साध्वी प्रज्ञा को जमानत पर रिहा करने के उच्च न्यायालय के 25 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी है। हाजी बिलाल ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत रद्द करने का अनुरोध शीर्ष अदालत से किया है। इनका आरोप है कि साध्वी प्रज्ञा ‘ताकतवर शख्सÓ हैं और वह इस मामले में गवाहों को प्रभावित कर सकती हैं। बता दें कि महाराष्ट्र के नासिक जिले में साम्प्रदायिक ²ष्टि से संवेदनशील मालेगांव में 29 सितम्बर 2008 को हुए बम विस्फोट में सात लोग मारे गए थे।
कर्नल पुरोहित ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका निरस्त किए जाने को चुनौती दी है, जबकि धमाके के पीडि़तों में से एक के पिता निसार अहमद हाजी सैयद बिलाल ने साध्वी प्रज्ञा को जमानत पर रिहा करने के उच्च न्यायालय के 25 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी है। हाजी बिलाल ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत रद्द करने का अनुरोध शीर्ष अदालत से किया है। इनका आरोप है कि साध्वी प्रज्ञा ‘ताकतवर शख्सÓ हैं और वह इस मामले में गवाहों को प्रभावित कर सकती हैं। बता दें कि महाराष्ट्र के नासिक जिले में साम्प्रदायिक ²ष्टि से संवेदनशील मालेगांव में 29 सितम्बर 2008 को हुए बम विस्फोट में सात लोग मारे गए थे।