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मालेगांव विस्‍फोट : कर्नल पुरोहित की याचिका पर SC ने महाराष्ट्र सरकार और एनआईए से मांगा जवाब

Published: Jan 29, 2018 03:38:01 pm

Submitted by:

Dhirendra

सुप्रीम कोर्ट ने मालेगांव विस्‍फोट मामले में महाराष्‍ट्र सरकार और एनआईए को नोटिस जारी कर चार हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

malagaon blast
नई दिल्‍ली. साल 2008 के मालेगांव विस्‍फोट मामले में आतंकी गतिविधियों में लिप्‍तता के आरोपों से घिरे कर्नल पुरोहित की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है। सर्वोच्‍च अदालत इस बात पर विचार करने के लिए राजी हो गया है कि पुरोहित पर आतंकी मामलों में संलिप्‍तता का मुकदमा चलाया जाए या नहीं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्‍ट्र सरकार और एनआईए को नोटिस जारी कर चार सप्‍ताह के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया है। आपको बता दूं कि एनआईए ने कर्नल पुरोहित पर हिंदू आतंकवाद फैलाने के आरोप लगाए थे और कर्नल की जमानत का भी विरोध किया था।

सुनवाई पर रोक की मांग
न्यायमूर्ति आर अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की पीठ ने पुरोहित की याचिका पर राज्य सरकार और जांच एजेन्सी से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। कर्नल पुरोहित ने मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगाने की भी अपील की है। दोनों 2008 के मालेगांव बम विस्फोट कांड में अभियुक्त हैं। पुरोहित और कुलकर्णी ने उच्च न्यायालय से कहा था कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के तहत मुकदमे की अनुमति देने वाले राज्य के विधि एवं न्यायपालिका विभाग को सक्षम प्राधिकार से रिपोर्ट मंगानी चाहिए थी।
मुकदमा चलाने का आदेश गलत
29 सितंबर, 2008 में मालेगांव विस्फोट हुआ था। मालेगांव में हुए विस्फोट में छह व्यक्ति मारे गए थे और 101 अन्य जख्मी हो गए थे। इस आपराधिक घटना के जरिए दोनों पर हिंदू आतंकवाद फैलाने का आरोप है। इस मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने ऊपर लगे गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) को चुनौती दी है। हाईकोर्ट में कर्नल पुरोहित और अन्य की याचिका में कहा गया था कि यूपीए के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी देने वाले राज्य के न्यायिक विभाग को ट्रिब्यूनल से रिपोर्ट लेनी होती है। पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवाडे ने कहा था कि इस मामले में जनवरी 2009 में अनुमति दी गई थी, लेकिन ट्रिब्यूनल का गठन अक्टूबर 2010 में किया गया। लिहाजा मंजूरी का आदेश गलत है। इससे पहले बाम्बे हाईकोर्ट ने मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और समीर कुलकर्णी की याचिका को खारिज कर दिया था। इस समय पुरोहित और कुलकर्णी दोनों ही जमानत पर हैं।
मुकदमा चलाने का आदेश गलत
29 सितंबर, 2008 में मालेगांव विस्फोट हुआ था। मालेगांव में हुए विस्फोट में छह व्यक्ति मारे गए थे और 101 अन्य जख्मी हो गए थे। इस आपराधिक घटना के जरिए दोनों पर हिंदू आतंकवाद फैलाने का आरोप है। इस मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने ऊपर लगे गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) को चुनौती दी है। हाईकोर्ट में कर्नल पुरोहित और अन्य की याचिका में कहा गया था कि यूपीए के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी देने वाले राज्य के न्यायिक विभाग को ट्रिब्यूनल से रिपोर्ट लेनी होती है। पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवाडे ने कहा था कि इस मामले में जनवरी 2009 में अनुमति दी गई थी, लेकिन ट्रिब्यूनल का गठन अक्टूबर 2010 में किया गया। लिहाजा मंजूरी का आदेश गलत है। इससे पहले बाम्बे हाईकोर्ट ने मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और समीर कुलकर्णी की याचिका को खारिज कर दिया था। इस समय पुरोहित और कुलकर्णी दोनों ही जमानत पर हैं।
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