सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टीगेशन ऑफिस (SFIO) की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है. SFIO ने गत 9 अगस्त को सरकार के सामने एक विस्तृत रिपोर्ट रखी है जिसमें इन बातों का खुलासा किया गया है.
दरअसल, विजय माल्या के गड़बड़झाले का खुलासा होने के बाद SFIO ने स्पेशल जांच की थी. जांच के लिए विजय माल्या के विभिन्न दफ्तरों, किंग फिशर के दफ्तरों और अन्य विभिन्न अधिकारियों के लैपटॉप और कम्प्यूटर जब्त किये गए थे. SFIO ने इन लैपटॉप से ईमेल सहित अनेक डिटेल प्राप्त किये हैं, उनसे इस बात का खुलासा हुआ है कि विजय माल्या ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, बैंक के अधिकारियों और कुछ अन्य प्रभावशाली लोगों को फ्री में किंग फिशर की उड़ान सेवा उपलब्ध करवाई थी. उन्हें इकोनोमिकल क्लास की कीमत में बिज़नेस क्लास की सुविधाएँ प्रदान की गयी. यहां तक कि उनके लिए विदेश के दौरे का भी इंतज़ाम कराया गया. नेताओं के लिए चुनाव के समय हेलीकाप्टर की सेवा उपलब्ध करवाई गयी और उनसे इसके बदले में कोई भुगतान नहीं लिया गया.
दरअसल, विजय माल्या के गड़बड़झाले का खुलासा होने के बाद SFIO ने स्पेशल जांच की थी. जांच के लिए विजय माल्या के विभिन्न दफ्तरों, किंग फिशर के दफ्तरों और अन्य विभिन्न अधिकारियों के लैपटॉप और कम्प्यूटर जब्त किये गए थे. SFIO ने इन लैपटॉप से ईमेल सहित अनेक डिटेल प्राप्त किये हैं, उनसे इस बात का खुलासा हुआ है कि विजय माल्या ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, बैंक के अधिकारियों और कुछ अन्य प्रभावशाली लोगों को फ्री में किंग फिशर की उड़ान सेवा उपलब्ध करवाई थी. उन्हें इकोनोमिकल क्लास की कीमत में बिज़नेस क्लास की सुविधाएँ प्रदान की गयी. यहां तक कि उनके लिए विदेश के दौरे का भी इंतज़ाम कराया गया. नेताओं के लिए चुनाव के समय हेलीकाप्टर की सेवा उपलब्ध करवाई गयी और उनसे इसके बदले में कोई भुगतान नहीं लिया गया.
यह भी पढ़ें: बेवफा पति नहीं मिला तो गुस्साई पत्नी ने इस तरह लिया बदला भ्रष्ट नेताओं-अधिकारीयों ने कैसे किया माल्या पर उपकार विजय माल्या ने इन नेताओं-अधिकारियों को मुफ्त सेवाएं देकर उनका मुंह सिल दिया था. इसके बाद जब किंग फिशर की रिपोर्ट वित्तीय संस्थाओं/सरकार के सामने रखी जाती थी, तब ये अधिकारी चुप रहते थे और कम्पनी की खस्ताहाल होती व्यवस्था पर कुछ भी नहीं बोलते थे. इतना ही नहीं, SFIO ने खुलासा किया है कि इन अधिकारियों के मार्फत माल्या अपने सामने प्रतिद्वंदी उड़ान कंपनियों की सभी डिटेल डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ़ सिविल एविएशन (DGCA) के सामने रखने से पहले ही हासिल कर लेता था. इसके कारण वह अपनी सेवाओं का मूल्य कम या अधिक रखने में सक्षम हो जाता था. वह अन्य कंपनियों के शेयर धारकों की हैसियत के बारे में भी जानकारी कर लेता था जिसके कारण वह अन्य उड़ान कंपनियों की सेहत को भी प्रभावित करने की स्थिति में आ जाता था.
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लोन लेने के लिए भी दिखाता था प्रभाव SFIO ने अपनी जांच में इस बात का भी खुलासा किया है कि माल्या इन अधिकारियों का प्रभाव बैंकों से लोन पाने के लिए भी करता था. जबकि किंग फिशर की हालत गंभीर होती जा रही थी और कोई भी बैंक उसे लोन देने को तैयार नहीं था. वह इन अधिकारियों के मार्फत बैंक के बड़े अधिकारी पर दबाव डालता था और मोटे लोन हासिल कर लिया करता था. इसी प्रकार के एक मामले में वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने 2009 में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के एक पूर्व बड़े अधिकारी पर दबाव बनाया था, जिसके बाद अधिकारी ने माल्या को 500 करोड़ रूपये का भारी लोन दे दिया था.
लोन लेने के लिए भी दिखाता था प्रभाव SFIO ने अपनी जांच में इस बात का भी खुलासा किया है कि माल्या इन अधिकारियों का प्रभाव बैंकों से लोन पाने के लिए भी करता था. जबकि किंग फिशर की हालत गंभीर होती जा रही थी और कोई भी बैंक उसे लोन देने को तैयार नहीं था. वह इन अधिकारियों के मार्फत बैंक के बड़े अधिकारी पर दबाव डालता था और मोटे लोन हासिल कर लिया करता था. इसी प्रकार के एक मामले में वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने 2009 में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के एक पूर्व बड़े अधिकारी पर दबाव बनाया था, जिसके बाद अधिकारी ने माल्या को 500 करोड़ रूपये का भारी लोन दे दिया था.
यह भी पढ़ें: ऑस्ट्रेलिया में बिक रही भारत की देशी खाट, कीमत 50 हजार रूपये कम्पनी के स्वतंत्र निदेशकों ने साधी चुप्पी दरअसल, SFIO ने अपनी रिपोर्ट में जो सबसे खतरनाक बात बताई है, वह ये है कि विजय माल्या ने किंग फिशर के स्वतंत्र निदेशकों की जुबान भी फ्री उड़ान और मोटे गिफ्ट देकर बंद कर दी थी. जिसके कारण ये निदेशक कम्पनी की बोर्ड बैठकों में कम्पनी की सेहत के बारे में कोई सवाल नहीं खड़े करते थे. यहां तक कि कम्पनी की विभिन्न एकाउंटिंग पालिसी में भारी परिवर्तन कर दिया गया और इन निदेशकों ने उसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठायी. इसका परिणाम हुआ कि कम्पनी को फर्जी ढंग से बेहतर सेहत में दिखाकर बैंकों को गुमराह किया गया और उनसे मोटे क़र्ज़ ले लिए गए.
यही कारण रहा कि आज कुल 17 बैंकों का लगभग 9 हजार करोड़ रूपये किंग फिशर में फंस गया है जिसकी वसूली आसान नहीं दिख रही है.
यही कारण रहा कि आज कुल 17 बैंकों का लगभग 9 हजार करोड़ रूपये किंग फिशर में फंस गया है जिसकी वसूली आसान नहीं दिख रही है.