आधार की समय सीमा बढ़ाई गई
अब आधार को अनिवार्य करने की अंतिम तारीख को 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 मार्च कर दी गई है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने ये भी आश्वासन दिया है कि फिलहाल आधार नंबर न देने वालों को किसी भी तरह के लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा। फिलहाल आधार की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय में आज सुनवाई हुई हैं। याचिकाकर्ताओंं ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी दलील में कहा है था कि, लोगों पर बैंक खातों के साथ कई सरकारी योजनाओं के लिए आधार नंबर देने कर दबाव बनाया जा रहा है, जो कि सही नहीं हैं। इसके लिए निजता के अधिकार पर फैसला का हवाला भी दिया गया है। अगले सोमवार को कोर्ट एक बार फिर इस मामले पर सुनवाई करेगा।
अब आधार को अनिवार्य करने की अंतिम तारीख को 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 मार्च कर दी गई है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने ये भी आश्वासन दिया है कि फिलहाल आधार नंबर न देने वालों को किसी भी तरह के लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा। फिलहाल आधार की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय में आज सुनवाई हुई हैं। याचिकाकर्ताओंं ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी दलील में कहा है था कि, लोगों पर बैंक खातों के साथ कई सरकारी योजनाओं के लिए आधार नंबर देने कर दबाव बनाया जा रहा है, जो कि सही नहीं हैं। इसके लिए निजता के अधिकार पर फैसला का हवाला भी दिया गया है। अगले सोमवार को कोर्ट एक बार फिर इस मामले पर सुनवाई करेगा।
आधार अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं याचिका
उल्लेखनीय है कि, आधार कार्ड योजना की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में यचिका दायर किया गया है जो कि अभी तक लंबित है। याचिकाकर्ताओं ने इसको लेकर जो सबसे बड़ी दलील दिय है, वो ये है कि इससे निजता के अधिकार का हनन हो रहा है। आधार में मौजूद बायोमेट्रिक डेटा को निजता का हनन बताया गया हैं। आपको याद दिला दें की बीते 24 अगस्त को ही सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद से ही आधार कार्ड योजना को अनिवार्य करने को लेकर सरकार को झटका भी लगा था। सरकार ने कोर्ट से ये दलील भी दिया था कि, निजता को मौलिक अधिकार बनाने के बाद आधार कार्ड योजना को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता हैंं। क्योंकि ऐसे में काई भी इस मौलिक अधिकार का हवाला देकर अपने बायोमेट्रिक जानकारी देने से मना कर सकता हैं।
उल्लेखनीय है कि, आधार कार्ड योजना की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में यचिका दायर किया गया है जो कि अभी तक लंबित है। याचिकाकर्ताओं ने इसको लेकर जो सबसे बड़ी दलील दिय है, वो ये है कि इससे निजता के अधिकार का हनन हो रहा है। आधार में मौजूद बायोमेट्रिक डेटा को निजता का हनन बताया गया हैं। आपको याद दिला दें की बीते 24 अगस्त को ही सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद से ही आधार कार्ड योजना को अनिवार्य करने को लेकर सरकार को झटका भी लगा था। सरकार ने कोर्ट से ये दलील भी दिया था कि, निजता को मौलिक अधिकार बनाने के बाद आधार कार्ड योजना को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता हैंं। क्योंकि ऐसे में काई भी इस मौलिक अधिकार का हवाला देकर अपने बायोमेट्रिक जानकारी देने से मना कर सकता हैं।