134 एकड़ के एम्स में किसी ने नहीं की मदद
पटना एम्स में मंगलवार को जमुई के रहने वाले रामबालक अपनी पत्नी के साथ बेटी को लेकर इलाज के लिए पहुंचा। एम्स में तैनात गार्ड से उसने डॉक्टर के संबंध में पूछा तो गार्ड ने कहा पहले जाकर रजिस्ट्रेशन कराओ। 134 एकड़ में फैले विशाल अस्पताल में मजदूर रामबालक बच्ची को लेकर इधर उधर भागता रहा। वह बार-बार एम्स के डॉक्टर और स्टाफ से बच्ची की खराब तबियत की दुहाई देकर सहायता मांगता रहा लेकिन किसी ने मदद नहीं की।
जबतक रजिस्ट्रेशन हुआ OPD का वक्त खत्म हो गया
घंटों परेशान होने के बाद किसी तरह से रामबालक अपनी बेटी को कंधे पर लादे रजिस्ट्रेशन पर पहुंच गया और लाइन में लग गया। काफी देर बाद जबतक उसका नंबर आया ओपीडी का वक्त खत्म हो चुका था। डॉक्टर अपनी सीट से उठ चुके थे। यहां फिर उसे एक गार्ड ने बताया कि अब कल आओ…डॉक्टर साहब उठ गए हैं।
पिता के कंधे पर ही मर गई बच्ची
रजिस्ट्रेशन और ओपीडी के चक्कर में तेज बुखार और पेट दर्द से कराहती हुई उसकी बेटी ने उसकी गोद में ही तड़पते हुए दम तोड़ दिया। बिहार के इस सबसे बड़े अस्पताल में एक बच्ची की मौत हो गई लेकिन प्रशासन को खबर नहीं मिली।
एंबुलेंस नहीं मिला तो कंधे पर लेकर गया शव
इतना कुछ होने के बाद भी रामबालक की मुसीबत कम नहीं हुईं। वह बच्ची के शव को लेकर घर जाना चाहता था लेकिन उसके पास एंबुलेंस को देने के लिए पैसे नहीं थे। यहां भी एम्स फेल हुआ और गरीब रामबाल बच्ची के शव को कंधे पर लेकर ही एम्स से निकल गया। करीब दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद वह फुलवारी शरीफ ऑटो स्टैंड पर पहुंचा। वहां से किसी तरह वह पटना रेलवे स्टेशन पहुंच कर ट्रेन से बच्ची का शव लेकर जमुई स्थित अपने घर पहुंच गया।
एम्स निदेशक बोले- ऐसा कुछ नहीं हुआ
पटना एम्स के निदेशक डॉक्टर प्रभात कुमार सिंह ने इस मामले पर कहा कि जमुई से इलाज के लिए बच्ची आई तो थी लेकिन उसका पर्चा नहीं कटा था या न ही किसी डॉक्टर से उसे देखा था। एम्स निदेशक के मुताबिक ओपीडी में तानात सभी डॉक्टरों और गार्डों से पूछताछ हुई है। उसने कोई भी ऐसी बात सामने नहीं आई है। एम्स परिसर में चार एंबुलेंस तैनात हैं।