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बिना वकालत की पढ़ाई किए जज साहब 21 सालों तक करते रहे इंसाफ

तमिलनाडु में एक जज साहब बतौर न्यायिक दण्डाधिकारी 21 साल तक बगैर कानून की डिग्री के इंसाफ करते रहे।

Nov 25, 2017 / 06:22 pm

ashutosh tiwari

9 convicted of 3-3 years of sentence by kota Court

चेन्नई. अब जबकि देशभर में नए अधिवक्ताओं को वकालत के लिए आल इंडिया बार एक्जाम (एआईबीई) की अनिवार्यता को लेकर प्रक्रिया जारी है, वहीं तमिलनाडु में एक जज साहब बतौर न्यायिक दण्डाधिकारी 21 साल तक बगैर कानून की डिग्री के इंसाफ करते रहे। सच्चाई का खुलासा तब हुआ जब शक के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी मजिस्ट्रेट पी. नटराजन की डिग्री की शिनाख्त करने के आदेश दिए।
अब बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु ने मदुरै के पूर्व मजिस्ट्रेट पी. नटराजन के खिलाफ जांच दल का गठन किया। हैरत की बात तो यह है कि जज अब पेंशन भी ले रहे हैं। वर्तमान में नटराजन एक वकील के रूप में तमिलनाडु में ही प्रेक्टिस कर रहे हैं। वहीं बार काउंसिल ने नटराजन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि क्यों ना उनके वकालत के पंजीकरण को रद्द किया जाए। दूसरी तरफ पी नटराजन ने नोटिस का जवाब देते हुए बताया, ‘मेरे साथ इस तरह का बर्ताव करना गलत होगा। खासतौर तब जब मैंने बीस साल न्यायिक सेवा को दिए हों।’
नटराजन ने किया था बीजीएल का कोर्स
नटराजन का स्पष्टीकरण है कि उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से जुड़े शारदा लॉ कॉलेज से बीजीएल का कोर्स किया था। यह कोर्स दो साल का था। जो उन्होंने दूरस्थ शिक्षा माध्यम से किया। हालांकि दीक्षांत समारोह के दौरान यह नहीं बताया गया कि इस डिग्री का इस्तेमाल सिर्फ अकादमिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। रोजगार के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
1982 में बने मजिस्ट्रेट
उल्‍लेखनीय है कि नटराजन ने साल 1975 से 1978 के बीच शारदा लॉ कॉलेज से बैचलर ऑफ जनरल लॉ की डिग्री ली थी। शुरुआती दो साल में वह दूरस्थ शिक्षा ही लेते रहे और थर्ड ईयर में उन्होंने कक्षाएं अटैंड की। 15 फरवरी 1982 को नटराजन को न्यायिक मजिस्ट्रेट के तौर पर चुना गया था। 21 साल तक नौकरी करने के बाद 30 जून 2003 को अपने पद से रिटायर हो गए थे।

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