इसरो ने मंगलयान का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने विश्वसीय रॉकेट धु्रवीय प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) से किया था। 5 नवम्बर 2013 को प्रक्षेपित मंगलयान 2 दिसम्बर 2013 को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल कर करीब 10 महीने की लंबी अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना हुआ था। करीब 300 दिनों की यात्रा कर 24 सितम्बर 2014 को यह यान मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया।
तब से मंगल ग्रह की कक्षा में परिक्रमा करते हुए यान ने वैज्ञानिकों को काफी जानकारियां उपलब्ध कराई हैं। मंगलयान ने अभी तक मंगल की 400 से अधिक परिक्रमाएं की हैं और अहम आंकड़े भेजे हैं जिनका वैज्ञानिक विश्लेषण प्रगति पर है।
सिर्फ 450 करोड़ का था मिशन
कम बजट, बेहद उपयोगी पांच विविध वैज्ञानिक उपकरणों (पे-लोड) और पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में पहुंचने के कारण मंगलयान विश्व के सफलतम अंतरग्रहीय मिशनों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। यह मिशन सिर्फ 450 करोड़ रुपए का था, जो अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के द्वारा उसी दौरान प्रक्षेपित मावेन मिशन के बजट का सिर्फ दसवां हिस्सा भर था।
कम बजट, बेहद उपयोगी पांच विविध वैज्ञानिक उपकरणों (पे-लोड) और पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में पहुंचने के कारण मंगलयान विश्व के सफलतम अंतरग्रहीय मिशनों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। यह मिशन सिर्फ 450 करोड़ रुपए का था, जो अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के द्वारा उसी दौरान प्रक्षेपित मावेन मिशन के बजट का सिर्फ दसवां हिस्सा भर था।
पिछले तीन वर्षों के दौरान भारतीय यान ने मिशन उद्देश्यों को पूरा करने के साथ ही कई अहम अनुसंधान भी किए हैं। मंगल की धरती पर मौजूद सल्फेट और लोहा जैसे धातुओं की पहचान, मंगल ग्रह की अनदेखी तस्वीरों के अलावा धूमकेतु साइडिंग स्प्रिंग के मंगल के करीब से गुजरने की तस्वीरें भेजी। इस दौरान मंगलयान पर ग्रहण कई बाधाएं आई मगर सुरक्षित रहा और अगले कई वर्षों तक मंगल की कक्षा में परिक्रमा करता रहेगा।