याचिका में सुप्रीम कोर्ट आदेश के उल्लंघन का जिक्र
बम्बई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एन एच पाटिल और जस्टिस एम एस कार्णिक की खंडपीठ के सामने आरक्षण का मामला पहुंचा। याचिकाकर्ता जय श्री पाटिल के वकील ने कहा कि राज्य सरकार का फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। जिसमें कहा गया कि 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 10 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। महाराष्ट्र सरकार ने एक दिसंबर को हाईकोर्ट में केवियट दाखिल कर दिया था। जिसमें सरकार ने कहा था कि हमारा पक्ष सुने बगैर इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जाए।
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चुनाव से पहले आरक्षण को लागू करना चाहती है सरकार
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधेयक के बाद कहा कि आगामी 2019 लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले इस आरक्षण को लागू करने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी।
29 नवंबर को महाराष्ट्र में पास हुआ आरक्षण का प्रस्ताव
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के दोनों सदनों मे 29 नवंबर को मराठा समुदाय को विशेष वर्ग ‘सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग’ के तहत सरकारी नौकरी और शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव मंजूर किया गया था। महाराष्ट्र में विभिन्न समुदायों के लिए पहले से ही 52 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा दी गई है। अब मराठा समुदाय के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण को सरकार ने मंजूरी दी है। इस तरह राज्य में कुल 68 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। आरक्षण बिल पर महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी 30 नवंबर को हस्ताक्षर कर दिए हैं।