नम आंखों से परिवार और आस-पड़ोस के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि ( Pay Tribute ) दी। हर कोई भारत के वीर जवान के शौर्य और साहस को सलाम कर रहा था। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ रही थी लोगों का हुजूम भी बढ़ता जा रहा था।
गूंजे संतोष बाबू अमर रहे के नारे
कोरोना का डर भी संतोष बाबू की शहादत को सलाम करने से लोगों को रोक नहीं पाया। बड़ी संख्या में लोग घरों से निकले उनकी अंतिम यात्रा के काफिले का हिस्सा बने।
जो घरों ने से नहीं निकल पाए उन्होंने कर्नल की अंतिम यात्रा के दौरान अपने घरों की बॉलकनी में खड़े होकर ‘वंदे मातरम’ और ‘संतोष बाबू अमर रहे’ के नारे भी लगाए। फूलों से की बारिश
शहीद संतोष बाबू की अंतिम यात्रा में लोगों से जो बन पड़ा उन्होंने किया। कई लोगों ने अपने घरों की बालकनी से संतोष बाबू की यात्रा पर फूलों की बारिश भी की। संतोष बाबू के सम्मान में शहर की अधिकतर दुकानें भी बंद रहीं।
आपको बता दें कि शहीद कर्नल संतोष बाबू के पार्थिव शरीर को बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी से एक विशेष विमान में हैदराबाद के निकट स्थित हकीमपेट वायु सेना अड्डे लाया गया और देर रात उनके घर सूर्या पेट पहुंचाया गया।
कर्नल संतोष कुमार को अंतिम बिदाई देने तेलंगाना के गवर्नर डॉ. तमिलिसाई सौंदरराजन, राज्य के मंत्री के.टी. रामाराव, मल्ल रेड्डी, जगदीश रेड्डी, साइबराबाद पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनर, हैदराबाद सिटी पुलिस कमिश्नर अंजनी कुमारंद भी पहुंचे। सभी ने वायु सेना अड्डे पर ही उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।
शहीद कर्नल संतोष बाबू का अंतिम संस्कार उनके पारिवारिक जमीन पर ही किया। उनके पिता ने बेटे का अंतिम संस्कार किया। इस दौरान सेना ने उन्हें बंदूक से हवाई फायरिंग कर सलामी दी। कर्नल के परिवार में पत्नी, एक बेटी और एक बेटा है। आपको बता दें कि सोमवार रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के उनके समेत 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे।