अफगान शांति वार्ता में भारत और तालिबन के एक मंच पर आने से विवाद उत्पन्न हो गया था। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने इस वार्ता में भारत के शामिल होने पर सवाल उठाए। इस बैठक में शामिल होने के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए उम्र अब्दुला ने कहा कि सरकार जब तालिबान के साथ वार्ता में शामिल हो रही है तो जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षों के साथ ऐसी बातचीत क्यों नहीं कर रही है। विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस बारे में आपत्ति जताई है।
भारत के शामिल होने को लेकर देश में उठाए जा रहे हैं सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि इस वार्ता में भारत की भागीदारी अनाधिकारिक स्तर पर है। भारत की नीति स्पष्ट करते हुए रवीश कुमार ने कहा कि जहां भी अफगानिस्तान में शांति और सुलह की कोशिश होगी, हम उसमें शामिल होंगे। रवीश कुमार ने साफ कहा कि इस बैठक में भारत अनाधिकारिक तौर पर शामिल हो रहा है। उन्होंने कहा कि रूस ने भारत को इस बैठक में शामिल होने का न्योता दिया था लेकिन भारत ने संगठन स्तर पर इसमें शामिल होने के बजाय अपने प्रतिनिधि भेजे हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के सभी प्रयासों का समर्थन करता है।
बता दें कि शुक्रवार को रूस में अफगानिस्तान मुद्दे पर होने वाली बैठक में भारत भी शामिल हो रहा है । मास्को में होने वाली इस बैठक में भारत की उपस्थिति आधिकारिक स्तर पर नहीं है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के जानकरों का मानना है कि भारतीय प्रतिनिधियों के शामिल होने की घटना बेहद चौंकाने वाली है। यह पहली बार है जब भारत तालिबान के साथ मंच साझा कर रहा है। अब तक भारत तालिबान को राजनीतिक ताकत मानने से इंकार करता रहा है। भारत की नीति तालिबान को स्पष्ट रुप से एक आतंकी संगठन मानने की रही है। भारत की ओर से इस बैठक में पूर्व वरिष्ठ राजनयिक टीसीए राघवन और अमर सिन्हा भाग ले रहे हैं।