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मक्का-मस्जिद धमाके के अलावा इन मामलों में भी रहा हिंदू संगठनों का नाम

ये पहला मामला नहीं है जब कट्टर दक्षिणपंथी संगठनों पर ऐसे आरोप लगे हों।

Apr 17, 2018 / 08:51 am

Kiran Rautela

नई दिल्ली। 2007 में हैदराबाद की ऐतिहासिक मक्का- मस्जिद धमाके के पांचों आरोपियों को सोमवार को बरी कर दिया गया। बता दें कि 11 साल पहले मक्का-मस्जिद में जुमे की नवाज के दौरान ये धमाके हुए थे। मामले मेें एनआईए की विशेष कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों को बरी कर दिया।
धमाके में 9 लोगों की मौत,58 घायल

चार मीनार के पास हुए इस धमाके में 9 लोग मारे गए थे और 58 लोग घायल हुए थे। मामले पर छानबीन कर रही पुलिस ने तीन साल बाद 2010 में स्वामी असीमानंद को गिरफ्तार किया था। बता दें कि स्वामी असीमानंद ‘अभिनव भारत’ नाम के संगठन से जुड़े हैं और उनके अलावा इस संगठन के बाकी सदस्यों लोकेश शर्मा, देवेंद्र गुप्ता और आरएसएस की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भी धमाके का आरोपी बताया गया।
फिलहाल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में इन लोगों को बरी कर दिया है। गौरतलब है कि ये पहला मामला नहीं है जब कट्टर दक्षिणपंथी संगठनों पर ऐसे आरोप लगे हों। इससे पहले के कई ऐसे मामले हैं जिन पर प्रकाश डालना जरूरी है।
अजमेर शराफ ब्लास्ट मामला

ऐसे मामलों में सबसे पहले अजमेर शराफ ब्लास्ट का नाम सबसे पहले जहन में आता है। राजस्थान के अजमेर शहर में 1 अक्तूबर, 2007 को उस वक्त बड़ा धमाका हुआ जब वहां पर रोजा पढ़ा जा रहा था। इसमें 3 लोगों की मौत और 17 लोग घायल हुए थे। उस समय भाजपा पर आरोप लगा था कि उसे इसकी पूरी जानकारी थी और धमाके में स्वामी असीमानंद का नाम सामने आया। लेकिन 8 मार्च 2017 को स्पेशल एनआईए कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त रहे स्वामी असीमानंद को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
सुनील जोशी की हत्या का मामला

हत्याकांड की बात करें तो आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की हत्या का मामला सामने आता है। सुनील जोशी की हत्या मध्य प्रदेश के देवास में 29 दिसंबर 2007 को हुई थी। मामले में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ीं प्रज्ञा ठाकुर सहित हर्षद सोलंकी, रामचरण पटेल, वासुदेव परमार, आनंदराज कटारिया, लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और जितेंद्र शर्मा पर आरोप सिद्ध हुआ। लेकिन मामले में कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सहित आठ अभियुक्तों को फरवरी, 2017 में बरी कर दिया।
समझौता एक्सप्रेस

भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को हरियाणा में धमाका हुआ था। जिसमें 68 लोगों के मारे जाने की खबर थी और 12 लोग घायल हुए थे। इसमें भी स्वामी असीमानंद का नाम आया था।
मामले पर स्वामी असीमानंद को सीबीआई ने 2010 में उत्तराखंड से गिरफ्तार किया था। लेकिन बाद में वो अपने बयान से मुकर गए ।

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