मल्लिका ने ट्विटर पर एक चिट्ठी पोस्ट की, जिसमें लिखा हुआ है, “निष्ठा जैन, जैसा आपने बताया है अगर मेरे पिता पूरी तरह वाकई गुनाहगार हैं, तो यह अस्वीकार्य, दर्दनाक और कठिनाई भरा है। मैं इस अभियान को लेकर उठने वाली बातों के समर्थन में हूं, लेकिन आप मेरा नाम इसमें बेहद ही गलत ढंग से खींचकर ले आई हो।”
#MeToo: नाना और नाथ से पहले नोबेल पर भारी पड़ चुकी है यह कैंपेन उन्होंने आगे लिखा, “अवसरवादी भक्तों और दक्षिण पंथी ट्रोल्स, और जो लोग भी इसे मेरे बारे में बना रहे हैं, उनकी मुझे चिंता नहीं। मैं अभी भी कट्टरता, स्त्री विरोधियों के खिलाफ और अभियान छेड़ने वालों के समर्थन में और जिस पर भी मेरा विश्वास है उसके साथ खड़ी हूं। मेरी सोच को कोई भी खत्म नहीं कर सकता और मुझे कोई शर्मिंदगी नहीं है।”
उन्होंने तीसरे पैराग्राफ में लिखा, “बाकी सभी के लिए यह मेरी लड़ाई नहीं है, जिसे मैं लड़ूं। यह मेरी जिम्मेदारी या मेरी शर्म या मेरा बोझ भी नहीं है। मैं इससे अपने ढंग से और अपने वक्त पर निपटूंगी। महिलाओं पर आपके मनोरंजन के लिए बयान जारी करने का दबाव बंद कर दो।”
और अंत में मल्लिका लिखती हैं, “मैं इस अभियान के साथ खड़ी हूं और इसके उद्देश्यों, आदर्शों और इरादे को किसी ढोंगी-धोखेबाज के चंगुल में नहीं आने दूंगी। यह मेरे पिता की लड़ाई है, मैं उन्हें लड़ने दूंगी और उनके साथ खड़ी रहूंगी।”
रामपाल हो या राम रहीम, आसाराम पर शिकंजा कसने के बाद तेज हुई धरपकड़ गौरतलब है कि पिछले माह के अंत में देश में उठे #MeToo कैंपेन के बाद कई अभिनेता, नेता, पत्रकार, कंपनी अधिकारी इसकी जद में आ गए हैं। अभी कुछ दिन पहले निष्ठा जैन नामक एक महिला ने अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिये टीवी पत्रकार विनोद दुआ पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए।
निष्ठा जैन ने जून 1989 का किस्सा सुनाते हुए विनोद दुआ द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न की आपबीती सुनाई और लिखा कि कैसे दुआ ने उनके ऑफिस के बाहर आकर उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाकर उत्पीड़न किया।