दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके, रविवार को तीन बार दहला देश मंत्रालय के शाीर्ष अधिकारियों ने इस मुद्दे पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों से बात की है। सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर एक फॉर्मूला यह हो सकता है कि स्कूल की फीस में आवश्यक भाग को ही अभिभावकों को देने के लिए कहा जाए। जैसे कई स्कूल परिवहन, मेंटिनेंस समेत विभिन्न तरह के खर्चों को भी शामिल कर रहे थे।
सीबीएसई से जुड़े सूत्रों का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान स्कूल को परिवहन आदि मदों में भुगतान लेने से रोक सकता है, लेकिन ट्यूशन फीस जैसे आवश्यक भुगतान को देना जरूरी है, क्योंकि ज्यादातर निजी स्कूल ऑनलाइन शिक्षा के जरिए छात्रों को पढ़ा रहे हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय और उसके तहत आने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इस मुद्दे पर दिशा निर्देश तैयार करने में लगे हुए हैं। इन निर्देशों पर अमल करने का अधिकार राज्यों सरकारों के पास होगा। मंत्रालय के पास इन दिनों छात्रों के माता-पिता, अभिभावक संघ और निजी स्कूल के संघों की ओर से गुहार आ रही है।
Lockdown- क्या टर्मिनेटर के बेटे की तरह आप भी लॉकडाउन के दिनों का कर सकते हैं सही इस्तेमाल अभिभावक और स्कूल संचालकों की अपनी-अपनी मांग निजी स्कूलों के छात्रों के अभिभावक सरकार से एक तिमाही की फीस माफी की गुहार लगा रहे हैं जबकि दूसरी तरफ निजी स्कूल भी सरकार से मांग कर रहे है कि अगर फीस माफी या भुगतान में देरी होती है तो इसका नुकसान स्कूलों को उठाना पड़ेगा, क्योंकि वे अपने स्टाफ को वेतन देने की स्थिति में नहीं होंगे।
राजस्थान समेत कई राज्यों ने निजी स्कूलों को निर्देश दे दिया है कि वे अभिभावकों पर फीस देने के लिए दबाव नहीं बना सकते। लेकिन कई स्कूलों ने अभिभावकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। यहां तक कि कई स्कूलों ने फीस नहीं देने वाले छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में बैठने की इजाजत नहीं दी है। राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग ने ऐसे एक मामले में दिल्ली के निजी स्कूल को नोटिस भी दिया है।