scriptमिशन चंद्रयान-3 की सफलता इसरो का अगला टार्गेट, नए लैंडर की टांगों की मजबूती पर जोर | Mission Chandrayaan-3: ISRO focusing on strengthening legs of lander | Patrika News

मिशन चंद्रयान-3 की सफलता इसरो का अगला टार्गेट, नए लैंडर की टांगों की मजबूती पर जोर

locationनई दिल्लीPublished: Nov 14, 2019 06:09:31 pm

इसरो ने नए मिशन के लिए नवंबर 2020 की डेडलाइन रखी है।
इस मिशन में केवल लैंडर और रोवर ही भेजेगा इसरो।
कई समितियों की रिपोर्ट के अध्ययन के बाद होगा फैसला।

वैज्ञानिक जांच में हुआ बड़ा खुलासा, लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी चलते विक्रम लैंडर क्रैश!

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बेंगलूरु। देश के महात्वाकांक्षी चंद्रयान-2 अभियान के तहत बीते 7 सितंबर को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) विक्रम लैंडर की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में असफल रहा था। सूत्रों की मानें तो अब इसरो ने नवंबर 2020 तक अपने अगले मिशन चंद्रयान-3 पर काम शुरू कर दिया है। और इस नए मिशन में इसरो का पूरा जोर लैंडर की टांगों को मजबूत करने पर है ताकि हार्ड लैंडिंग की स्थिति में भी यह सही-सलामत ढंग से चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाए।
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यों तो चंद्रयान-2 का अहम हिस्सा यानी ऑर्बिटर सही ढंग से काम कर रहा है और इसरो को आशानुरूप नतीजे दे रहा है, जो ऐतिहासिक हैं। अब तक दुनिया के किसी ऑर्बिटर में इतनी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी नहीं लगी हुई थी।
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हालांकि इसरो ने विक्रम की हार्ड लैंडिंग को एक चुनौती केे रूप में लिया और यह ठाना है कि वो अगले प्रयास में सॉफ्ट लैंडिंग करवा कर रहेगा। इसके लिए इसरो ने कई कमेटियां गठित कीं। इनमें एक मुख्य समिति और तीन उप-समिति हैं। अक्टूबर से लेकर इसरो अब तक कम से कम चार उच्च-स्तरीय बैठकें भी आयोजित कर चुका है।
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सूत्रों की मानें तो इसरो अब चंद्रयान-3 मिशन पर काम कर रहा है और इसकी डेडलाइन नवंबर 2020 रखी गई है। चंद्रयान-3 में इसरो केवल लैंडर और रोवर को ही लेकर जाएगा क्योंकि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर बिल्कुल सही ढंग से काम कर रहा है और यह आगे भी काम करता रहेगा।
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मंगलवार को चंद्रयान-3 के निर्माण और इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों को लेकर एक समिति ने बैठक की। इस कमेटी ने चंद्रयान-3 के प्रपलसन, सेंसर, ओवरऑल इंजीनियरिंग, नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम को लेकर दी गई तमाम सब-कमेटी के प्रस्तावों को देखा।
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इस संबंध में इसरो के एक वैज्ञानिकक ने कहा कि काम तेजी से जारी है। अब तक इसरो इस मिशन के 10 विशिष्ट पहलुओं को देख चुका है। इनमें चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग साइट का चयन, बिल्कुल सटीक नेविगेशन और स्थानीय नेविगेशन शामिल है। सूत्रों द्वारा इस संबंध में बीते 5 अक्टूबर के एक ऑफिस ऑर्डर का हवाला दिया गया।
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वहीं, एक अन्य वैज्ञानिक ने कहा कि इस नए मिशन की पहली प्राथमिकता है कि ‘लैंडर की टांगों को मजबूत बनाया जाए,’ ताकि बेहद तेज वेग के बावजूद यह सही ढंग से लैंडिंग कर सके। सूत्रों का कहना है कि इसरो इसके लिए एक नया लैंडर और रोवर बना रहा है। हालांकि अभी तक लैंडर पर पेलोड की अंतिम संख्या के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है।
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सूत्र ने आगे कहा कि इसरो की टीमें फ्यूल ले जाने के लिए अलग हो सकने वाले मॉड्यूल पर काम कर रही हैं। इसे प्रायोगिक रूप से प्रपलसन मॉड्यूल कहा गया है, जो लैंडिंग मॉड्यूल को ले जाने में मदद करेगा। इस लैंडर के भीतर रोवर होगा जो चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करेगा।
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