इसरो ने नए मिशन के लिए नवंबर 2020 की डेडलाइन रखी है।
इस मिशन में केवल लैंडर और रोवर ही भेजेगा इसरो।
कई समितियों की रिपोर्ट के अध्ययन के बाद होगा फैसला।
वैज्ञानिक जांच में हुआ बड़ा खुलासा, लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी चलते विक्रम लैंडर क्रैश!
बेंगलूरु। देश के महात्वाकांक्षी चंद्रयान-2 अभियान के तहत बीते 7 सितंबर को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) विक्रम लैंडर की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में असफल रहा था। सूत्रों की मानें तो अब इसरो ने नवंबर 2020 तक अपने अगले मिशन चंद्रयान-3 पर काम शुरू कर दिया है। और इस नए मिशन में इसरो का पूरा जोर लैंडर की टांगों को मजबूत करने पर है ताकि हार्ड लैंडिंग की स्थिति में भी यह सही-सलामत ढंग से चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाए।
#Breaking: इसरो का बड़ा खुलासा, यह थी चंद्रयान से संपर्क टूटने की असली वजहः #Chandrayaan2 हालांकि इसरो ने विक्रम की हार्ड लैंडिंग को एक चुनौती केे रूप में लिया और यह ठाना है कि वो अगले प्रयास में सॉफ्ट लैंडिंग करवा कर रहेगा। इसके लिए इसरो ने कई कमेटियां गठित कीं। इनमें एक मुख्य समिति और तीन उप-समिति हैं। अक्टूबर से लेकर इसरो अब तक कम से कम चार उच्च-स्तरीय बैठकें भी आयोजित कर चुका है।
सूत्रों की मानें तो इसरो अब चंद्रयान-3 मिशन पर काम कर रहा है और इसकी डेडलाइन नवंबर 2020 रखी गई है। चंद्रयान-3 में इसरो केवल लैंडर और रोवर को ही लेकर जाएगा क्योंकि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर बिल्कुल सही ढंग से काम कर रहा है और यह आगे भी काम करता रहेगा।
इस खोज ने कर दिया कमाल, न पड़ेगी चंद्रयान-2 जैसे मिशन की जरूरत और न होगी कोई परेशानी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मंगलवार को चंद्रयान-3 के निर्माण और इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों को लेकर एक समिति ने बैठक की। इस कमेटी ने चंद्रयान-3 के प्रपलसन, सेंसर, ओवरऑल इंजीनियरिंग, नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम को लेकर दी गई तमाम सब-कमेटी के प्रस्तावों को देखा।
#Breaking: इसरो के पूर्व चीफ का बड़ा खुलासा, चंद्रयान-2 को लेकर बताई चौंकाने वाली बात जिससे हुआ इस संबंध में इसरो के एक वैज्ञानिकक ने कहा कि काम तेजी से जारी है। अब तक इसरो इस मिशन के 10 विशिष्ट पहलुओं को देख चुका है। इनमें चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग साइट का चयन, बिल्कुल सटीक नेविगेशन और स्थानीय नेविगेशन शामिल है। सूत्रों द्वारा इस संबंध में बीते 5 अक्टूबर के एक ऑफिस ऑर्डर का हवाला दिया गया।
वहीं, एक अन्य वैज्ञानिक ने कहा कि इस नए मिशन की पहली प्राथमिकता है कि ‘लैंडर की टांगों को मजबूत बनाया जाए,’ ताकि बेहद तेज वेग के बावजूद यह सही ढंग से लैंडिंग कर सके। सूत्रों का कहना है कि इसरो इसके लिए एक नया लैंडर और रोवर बना रहा है। हालांकि अभी तक लैंडर पर पेलोड की अंतिम संख्या के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है।