महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा के साथ सरकार बनाने के चलते शिवसेना केंद्र में राज्य मंत्री का एक पद छोड़ चुकी है। ऐसे में महाराष्ट्र के किसी पार्टी सांसद को मंत्री बनाया जा सकता है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड की चुनावी व्यस्तताओं और फिर कई महत्वपूर्ण विधेयकों को शीतकालीन सत्र में पास कराने में पार्टी नेतृत्व की ऊर्जा लगी रही। संभव है कि संसद सत्र और झारखंड चुनाव खत्म होने के बाद कैबिनेट विस्तार हो।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सहयोगी दलों की ओर से भाजपा पर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दबाव है। बिहार में अगले साल 2020 में और तमिलनाडु में 2021 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए जद (यू) और एआईएडीएमके के नेताओं को मोदी सरकार में जगह मिल सकती है। ये दोनों दल केंद्र में पर्याप्त हिस्सेदारी चाहते हैं। लोकसभा चुनाव से दोस्ती निभाने के साथ कई विधेयकों पर सरकार के साथ खड़ी रही एआईएडीएमके को इसका इनाम मिल सकता है।
रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि आर्थिक संकेतकों पर देश के कमजोर प्रदर्शन, जीडीपी वृद्धि दर गिरने और इसे लेकर सरकार के लगातार घिरने के कारण वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को हटाने की अटकलें तेज हो गई हैं। सुरेश प्रभु को भी कैबिनेट में वापस लिया जा सकता है। नरेंद्र सिंह तोमर सहित कई मंत्रियों के पास एक से अधिक बड़े मंत्रालय हैं। ऐसे में फेरबदल हुआ तो इन मंत्रियों का भार कम किया जा सकता है। गौरतलब है कि 30 मई, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुल 57 मंत्रियों के साथ शपथ ली थी, जिसमें 24 कैबिनेट, नौ राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 24 राज्यमंत्री शामिल थे। जबकि 2014 में उन्होंने इससे कम 45 मंत्रियों के साथ शपथ ली थी।