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तीन तलाक पर अध्यादेश नहीं लाएगी सरकार, बजट सत्र में पास कराने की होगी कोशिश

Published: Jan 16, 2018 09:09:15 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

तीन तलाक संबंधी विधेयक पर विपक्ष की असहमति के बावजूद मोदी सरकार कोई अध्यादेश नहीं लाने वाली है।

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नयी दिल्ली: मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के आजादी दिलाने की लिए राज्यसभा में तीन तलाक बिल लंबित है। विपक्ष कई मसलों पर इस बिल पर सहमत नहीं है। इसके बावजूद सरकार तीन तलाक संबंधी विधेयक के बारे में कोई अध्यादेश नहीं लाने वाली है।

बजट सत्र से सरकार को उम्मीद
केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार का तीन तलाक पर किसी तरह के अध्यादेश लाने का विचार नहीं है। नकवी ने उम्मीद जतायी कि यह विधेयक संसद के बजट सत्र में राज्यसभा से भी पारित हो जाएगा। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 लोकसभा से शीतकालीन सत्र में पारित हो चुका है और राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण इसे मंजूरी नहीं मिल पायी।

सरकार बोली- नहीं लाएंगे अध्यादेश
जब केन्द्रीय मंत्री से पूछा गया कि क्या सरकार मुस्लिम महिलाओं को न्याय शीघ्र सुलभ कराने के लिये अध्यादेश ला सकती है तो उन्होंने कहा कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है। सरकार चाहती है कि विधेयकों पर संसद में विचार हो, बहस हो और उस पर निर्णय किया जाए यानी पारित किया जाए। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए विकास का मसौदा, वोट का सौदा नहीं है।

लोकसभा में पास हो चुका है बिल
बता दें कि 28 दिसंबर को तीन तलाक बिल को लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी है। काफी मशक्कत के बाद तीन तलाक बिल लोकसभा से पास हो गया। बिल के खिलाफ सारे संशोधन खारिज हो गए थे। इसके बाद बिल को राज्यसभा भेजा जाना था लेकिन वहां बहुतम नहीं होने की वजह से बिल पेश नहीं किया गया।

तलाक-तलाक-तलाक कहने पर जेल जाना होगा
लोकसभा में बिल पास होने के बाद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने काफी छोटा बिल बनाया है। इस बिल के अनुसार, अगर आप तलाक-तलाक-तलाक कहेंगे तो आपको जेल जाना होगा और रही बात पीड़िता को मुआवजे की तो आरोपी को भले ही पुलिस से इस मामले में बेल न मिले, लेकिन वो बेल के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है और वहां पर जज, मजिस्ट्रेन कानूनी नियमों के आधारा पर पीड़िता को मुआवजे की राशि देने को कह सकता है। या फिर पीड़िता भी वहां पर मुआवजे की डिमांड कर सकती है।
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