बुधवार को मोदी सरकार ने कहा है कि अनुसूचित जाति (SC) के बच्चों की पढ़ाई के लिए पहले की तुलना में पांच गुना अधिक पैसा खर्च किया जाएगा। सरकार की ओर से चलाए गए योजनाओं के तहत अगले पांच सालों में 59 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी।
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सरकार ने कहा कि 59 हजार करोड़ में से 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक केंद्र सरकार खर्च करेगी। इस योजना से सरकार अगले चार वर्षों में चार करोड़ दलित बच्चों को सुविधा मुहैया कराएगी। इनमें से करीब 1.36 करोड़ छात्र सबसे गरीब परिवार से होंगे।
दलित बच्चों को मिलेगी पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप
बता दें कि मोदी सरकार के दलित बच्चों को पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप देगी। मंत्रिमंडल के इस फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना से अनुसूचित जाति के युवाओं के लिए शैक्षिक पहुंच और भी आसान होगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि युवाओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सस्ती शिक्षा सुनिश्चित करें।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में आर्थिक मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी ने एससी पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम को लेकर यह निर्णय लिया है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि दलितों को शैक्षिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए यह एक बड़ा फैसला है।
सरकार ने कहा कि लाभार्थी छात्रों को छात्रवृत्ति अब डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए सीधे उनके खाते में भेजी जाएगी। मौजूदा समय में केंद्र सरकार इस पैसे को राज्यों और शैक्षणिक संस्थानों को देती थी और फिर छात्रों को मिलती थी। इस दौरान बहुतायत में गड़बड़ी होती थी।
छात्रवृत्ति का 60 फीसदी हिस्सा केंद्र देगी
इस बैठक में जो एक सबसे बड़ा फैसला हुआ, वह है केंद्र और राज्य सरकारों के बीच छात्रवृति के पैसे के हिस्सेदारी। अब छात्रवृति के पैसे का 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फीसदी राज्य सरकारें देंगी। पहले इस योजना के तहत सरकार राज्यों को हर साल औसतन 11 सौ करोड़ की मदद देती थी, लेकिन अब हर साल 6 हजार करोड़ दी जाएगी।
आपको बता दें कि इस स्कीम के तहत सरकार दलित छात्रों को दसवीं के बाद 11वीं और 12वीं यानी पोस्ट मैट्रिक की पढ़ाई के लिए छात्रवृति देती है।