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अल्पसंख्यकों पर हमले रोकने में मोदी सरकार नाकामः रिपोर्ट

Published: Jan 28, 2016 10:53:00 am

संगठनों ने लगाए गंभीर आरोप, कहा सरकार ने आलोचना करने वाली सिविल सोसाइटी तथा संगठनों पर बैन लगा रखे हैं

Muslims

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लंदन। दो प्रमुख मानवाधिकार संगठनों ने भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संगठनों की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों से निपटने में नाकाम रही है। संगठनों ने आरोप लगाए हैं कि भारत सरकार ने अपनी आलोचना करने वाली सिविल सोसाइटी तथा संगठनों पर बैन लगा रखे हैं। इन दो संगठनों के नाम ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल हैं। इन्होंने विदेशी फंडिंग को रोके जाने और गैर सरकारी संगठनों और कार्यकर्ताओं को निशाने बनाने को लेकर भी सरकार की आलोचना भी की है।

एचआरडब्ल्यू ने अपनी वर्ल्ड रिपोर्ट 2016 में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले से निपटने में नाकाम रही है। अपने 659 पन्नों की रिपोर्ट में इसने कहा है कि अधिकारियों ने विदेशी कोष को ब्लॉक कर दिया और सरकार या बड़ी विकास परियोजनाओं के आलोचक रहे सिविल सोसाइटी संगठनों पर प्रतिबंध बढ़ा दिए।

एचआरडब्ल्यू की दक्षिण एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा कि, “इस साल असंतुष्टों पर भारत सरकार की कार्रवाई ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की, देश की लंबे और समृद्ध परंपरा को कमतर किया है। अधिकारियों को सहिष्णुता और शांतिपूर्ण बहस को बढ़ावा देना चाहिए तथा उन लोगों को अभियोजित करना चाहिए जो हिंसा को उकसाते हैं या इसे अंजाम देते हैं।”

इसने कहा है कि, “एक गलत प्रवृति के तहत सत्तारूढ़ बीजेपी के कुछ नेताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पैदा की।” इसने गोमांस के लिए गाय की जान लेने या उसे चुराने के संदेह में भीड़ द्वारा चार मुसलमानों की हत्या किए जाने की घटना का हवाला देते हुए यह कहा। सरकार ने ग्रीनपीस इंडिया जैसे संगठनों से विदेश कोष प्राप्ति को ब्लॉक कर दिया और फोर्ड फाउंडेशन सहित कई अन्य को निशाना बनाया।

गौरतलब है कि बयान में यह भी कहा गया है कि, “प्राधिकारियों ने तीस्ता सेतलवाड और जावेद आनंद जैसे कार्यकर्ताओं को, गुजरात में वर्ष 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय मांगने पर ‘राष्ट्र विरोधी’ करार दे दिया। ऐसी तिकड़में अन्य समूहों के काम पर प्रतिकूल असर डालती हैं।”

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मोदी सरकार पर कार्यकर्ताओं तथा विरोध करने वाले समूहों को ‘राजनीतिक कारणों के चलते’ निशाना बनाने का आरोप लगाया है। एमनेस्टी ने कहा है कि ‘द पीपल्स वाच’ के बैंक खातों को वर्ष 2012 से फ्रीज किए जाने की ख़बर है जिसके कारण कुछ कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया और कई कार्यक्रम भी छोड़ दिए गए। रिलीज में इसने कहा है, “तब दिल्ली में सत्तारूढ़ सरकार ने इस तरह की प्रताड़ना को जायज ठहराने के लिए विदेशी अनुदान नियमन कानून का उपयोग किया। यह वही कानून है जिसका उपयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार राजनीतिक कारणों से कर रही है।”
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