जितेन्द्र सिंह ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न मंत्रालयों, विभागों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एफआर 56 (जे) और इसी तरह के अन्य नियमों के प्रावधानों के तहत जुलाई 2014 से दिसंबर 2020 के दौरान ग्रुप ए के 171 अधिकारियों और ग्रुप बी के 169 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
साथ ही उन्होंने बताया कि इन नियमों में ऐसे प्रावधान हैं, जिसके तहत किसी सरकारी कर्मचारी को कथित रूप से भ्रष्ट होने या अपेक्षित प्रदर्शन नहीं करन पर सार्वजनिक हित में समय से पहले सेवानिवृत्त किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि उन्होंने कहा कि एक मार्च 2018 की स्थिति के अनुसार सरकार के अधीन नियमित सिविल कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या 38,02,779 और पदस्थ कर्मचारियों की संख्या 31,18,956 है।
इसके अलावा जितेन्द सिंह ने सिविल सेवा परीक्षा के परिणामों की घोषणा किए जाने के बाद संघ लोक सेवा आयोग द्वारा जारी की जाने वाली आरक्षित सूची पर उठ रहे सवालों का भी जवाब दिया। उन्होंने बताया कि आरक्षित सूची जारी करने की व्यवस्था साल 2003 से चालू हुई थी। उन्होंने इसे एक नियमित प्रक्रिया बताया। उन्होंने कहा कि आरक्षित सूची, प्रतीक्षा सूची नहीं है। यह एक नियमित प्रक्रिया है। साथ ही उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था पर उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की गई थी। हालांकि कोर्ट ने 2010 के अपने एक फैसले में इसे बरकरार रखा था।